विश्व

म्यांमार के सैनिक सुनेंगे शासक ड्रैगन की सलाह? पढ़ें पूरा मामला

Gulabi Jagat
6 July 2022 4:48 PM GMT
म्यांमार के सैनिक सुनेंगे शासक ड्रैगन की सलाह? पढ़ें पूरा मामला
x
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने म्यांमार के सैनिक शासकों को सलाह दी है कि वे अपने विरोधियों से बातचीत शुरू करें। म्यांमार में तेज होती हिंसा और मानवाधिकारों की खराब होती हालत के बीच चीन ने यह पहल की है। म्यांमार में पिछले साल एक फरवरी को हुए सैनिक तख्ता पलट के बाद पहली बार चीनी विदेश मंत्री म्यांमार की यात्रा पर आए। 2020 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की हुई म्यांमार यात्रा के बाद चीन का कोई इतना बड़ा पदाधिकारी पहली बार यहां आया। 2020 में अपनी यात्रा के दौरान शी ने म्यांमार के सेनाध्यक्ष मिन आंग हलायंग से भी मुलाकात की थी। मिन अब देश के शासक हैं।
चीन के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर छपे ब्योरे के मुताबिक वांग ने कहा- 'म्यांमार के सभी पक्षों को हम प्रोत्साहित करते हैं कि वे अपने देश के संवैधानिक और कानूनी ढांचे के तहत राजनीतिक वार्ता शुरू करें, ताकि देश में लोकतांत्रिक बदलाव की प्रक्रिया फिर शुरू हो सके।' इसके साथ ही वांग ने म्यांमार में राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता बनाए रखने के लिए चीन के समर्थन को दोहराया। लेकिन उन्होंने कहा- 'म्यांमार की स्थिति पर चीन निकटता से नजर रख रहा है और अपनी तरफ से वह रचनात्मक भूमिका निभाना जारी रखेगा।' चीनी विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक म्यांमार के विदेश मंत्री वुना माउंग ल्विन ने म्यांमार को 'निस्वार्थ मदद देने के लिए' चीन की प्रशंसा की।
लैनकांग-मिकोंग को-ऑपरेशन फ्रेमवर्क 2015 में बना
वांग रविवार को म्यांमार के टूरिस्ट शहर बागान पहुंचे। वे यहां लैनकांग-मिकोंग को-ऑपरेशन फ्रेमवर्क के तहत यहां हो रही कई देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने आए। इस बैठक में थाईलैंड, लाओस, और वियतनाम के विदेश मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया। यहीं उनकी म्यांमार के विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता हुई। म्यांमार के सैनिक शासन ने इस बैठक को अपनी एक कूटनीतिक जीत के रूप में पेश किया है। सैनिक शासन के प्रवक्ता जाव-मिन-टुन ने पत्रकारों से कहा- यह बैठक म्यांमार की संप्रभुता और उसकी सरकार को मिल रही मान्यता का सबूत है।
वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम के मुताबिक लैनकांग-मिकोंग को-ऑपरेशन फ्रेमवर्क चीन की पहल पर 2015 में बना था। इसका मकसद इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण और अन्य क्षेत्रों में बहुपक्षीय वार्ता को आगे बढ़ाना है। इसका नाम दक्षिण-पूर्व एशिया की सबसे लंबी नदी के नाम पर रखा गया है। इस नदी के चीन में स्थित हिस्से को लैनकांग और कहा जाता है। अन्य देशों में इसे मिकोंग कहा जाता है।
क्या मध्यस्थता चाहता है चीन
म्यांमार के विदेश मंत्री से वांग की वार्ता के बाद जारी चीन के बयान को महत्त्वपूर्ण समझा गया है। चीन म्यांमार का सबसे बड़ा सहयोगी देश है। उसने 2021 में हुए सैनिक तख्ता पलट की निंदा करने से इनकार कर दिया था। इस साल अप्रैल में उसने सैनिक शासकों के प्रति अपने समर्थन को फिर दोहराया। ऐसे में समझा जाता है कि चीन की सलाह को सिरे से ठुकराना सैनिक शासन के लिए कठिन होगा।
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर इयन चोंग ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से कहा है- 'चीन का हित इसमें है कि म्यांमार में राजनीतिक स्थिरता बनी रहे। ऐसे में मुझे लगता है कि चीन वहां किसी प्रकार की मध्यस्थता करने की कोशिश में है, जिससे सैनिक शासन को कुछ वैधता प्राप्त हो सके। लेकिन इसमें शक है कि इससे सैनिक शासकों के व्यवहार में कोई बदलाव आएगा।'
Gulabi Jagat

Gulabi Jagat

    Next Story