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क्या बदलेगी यूनिवर्स पर पुरानी थिअरी? तीन गुना बड़ी है आर्क, दिखीं 3.3 अरब प्रकाशवर्ष में फैलीं गैलेक्सी

Gulabi
10 Jun 2021 4:53 PM GMT
क्या बदलेगी यूनिवर्स पर पुरानी थिअरी? तीन गुना बड़ी है आर्क, दिखीं 3.3 अरब प्रकाशवर्ष में फैलीं गैलेक्सी
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तीन गुना बड़ी है आर्क

धरती से 9.2 अरब प्रकाशवर्ष दूर एक अनोखी 'आकृति' की खोज की गई है। बूट्स द हर्ड्समैन तारामंडल में 3.3 अरब प्रकाशवर्ष में फैली एक विशाल गैलेक्सी-आर्क मिली है। इसकी खोज के साथ ही इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई है कि आखिर अंतरिक्ष का आमतौर पर नजारा कैसा होता है? यह विशाल आर्क ऑब्जर्वेबल यूनिवर्स के रेडियस की 1/15वीं है। माना जाता है कि ब्रह्मांड में मैटर एक पैटर्न के तहत फैला हुआ है। इसलिए उम्मीद की जाती है कि बड़े स्तर पर देखे जाने पर ज्यादा अनियमितता नहीं मिलेगी।


तीन गुना बड़ी है आर्क

यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल लंकनशेर के जेरेमाया हॉरक्स इंस्टिट्यूट में PhD स्टूडेंट अलेक्सिया लोपेज और अडवाइजर रॉजर क्लोज ने यूनवर्सिटी ऑफ लुईविल के जेरार्ड विलिजर के साथ मिलकर Sloan Digital Sky Survey की मदद से यह खोज की है। अलेक्सिया ने बताया, 'आमतौर पर किसी आकृति का ज्यादा से ज्यादा 1.2 अरब प्रकाशवर्ष बड़ा होना एक तरह की सीमा माना जाता है। इसलिए यह विशाल आर्क तीन गुना बड़ी है।' ऐसे में सवाल उठता है कि इतनी विशाल आकृति इत्तेफाक है या सच उससे ज्यादा है? (ALEXIA M. LOPEZ/Jeremiah Horrock)

कैसे की स्टडी?


ब्रह्मांड को लेकर माना जाता है कि उसका जितना हिस्सा में देख सकते हैं, बाकी भी वैसा ही होगा। इसे Cosmological Principle कहा जाता है। विशाल आर्क और ऐसी दूसरी आकृतियां इस पर सवाल खड़ा करती हैं। रिसर्चर्स ने इसके लिए मैग्नेशियम अब्जॉर्पशन सिस्टम पर क्वेजर के असर को स्टडी किया। क्वेजर ऐसी दूरस्थ गैलेक्सी होती हैं जो बड़ी मात्रा में ऊर्जा और रोशनी उत्सर्जित करती हैं। अलेक्सिया का कहना है कि क्वेजर एक विशाल लैंप की तरह काम करता है। उन्होंने बताया है कि इन क्वेजर से बने स्पेक्ट्रा को टेलिस्कोप की मदद से स्टडी किया जा सकता है।

कैसा है ब्रह्मांड?

इससे पता चलता है कि रोशनी कहां पर अब्जॉर्ब की गई थी। मैग्नीशियम की मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि क्वेजर लाइट गैलेक्सीज से होकर निकली है। इस 'फिंगरप्रिंट' की मदद से ऐसे मैटर को देखा जा सकता है जो आमतौर पर ज्यादा चमकता नहीं है। अलेक्सिया ने बताया कि बड़े स्तर पर देखे जाने पर उम्मीद की जाती है कि मैटर एक तरह से फैला हुआ होगा। इसके मुताबिक एक विशाल हिस्से में जो पैटर्न देखा जाता है, पूरा ब्रह्मांड उसी पैटर्न से भरा होगा, चाहें किसी भी हिस्से को कहीं से भी देखा जाए। हालांकि, विशाल आर्क मिलने से यह सवाल खड़ा हो गया है कि इस पैटर्न की सीमा क्या है।
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