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क्या बदलेगा लंबा इतिहास? ईरान और सऊदी अरब के बीच शांति की संभावना

Gulabi
6 July 2021 3:55 PM GMT
क्या बदलेगा लंबा इतिहास? ईरान और सऊदी अरब के बीच शांति की संभावना
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मंगलवार के दिन ईरान ने सऊदी अरब के साथ बातचीत में अच्छी प्रगति की सूचना दी

ईरान और सऊदी अरब दोनों ताकतवर पड़ोसियों के बीच क्षेत्रीय प्रभुत्व को लेकर विवाद का बहुत लंबा इतिहास है, लेकिन मंगलवार के दिन ईरान ने सऊदी अरब के साथ बातचीत में अच्छी प्रगति की सूचना दी। साथ ही कहा कि हमारे बीच कुछ विवाद जटिल हैं और उन्हें हल करने में समय लगेगा।

दरअसल, सऊदी अरब और खाड़ी के सहयोगी बीते काफी वक्त से ईरान पर दबाव बना रहे थे। वो इस क्षेत्र में संघर्षों के विपरीत पक्ष का समर्थन करते हैं, खासतौर से परमाणु कार्यक्रम को लेकर जिसके बारे में तेहरान का कहना है कि ये पूरी तरह से शांतिपूर्ण है। ईरानी सरकार के प्रवक्ता अली रबीई ने सरकारी मीडिया द्वारा किए गए एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इन वार्ताओं में अच्छी प्रगति हुई है कुछ मामलों में, विवादों में जटिलताएं हो सकती हैं जिन्हें हल करने में समय लगता है। उनके बीच तनाव को कम करने के लिए, सऊदी अरब और ईरान ने अप्रैल में सीधी बातचीत शुरू की थी। इस दौरान ईरान ने अपने विरोधी मुल्क अमेरिका के साथ खाड़ी अरब राज्यों के घनिष्ठ संबंधों की आलोचना की है और उनमें से कुछ ने इज़राइल के साथ संबंधों को सामान्य करने के लिए कदम उठाए हैं।
सऊदी और ईरान के बीच विवाद क्या है विवाद
दोनों देशों में सदियों से चले आ रहे शिया और सुन्नी मतभेद के अलावा इजराइल एक बड़ा मसला है। ईरान पर हुथी विद्रोह के समर्थन का संदेह किया जाता है और सऊदी अरब वहां उसके विरोध में संघर्षरत है। सऊदी की इज़राइल से करीबी भी एक कारण है। साथ ही ये भी देखा जाता है कि, जब सऊदी अरब ने कतर पर कई तरह की पाबंदियां लगाईं, तो उसने ईरान और तुर्की से नजदीकियां बढ़ा लीं। इसमें समझने वाली बात ये है कि, ईरान और तुर्की से सऊदी अरब की दुश्मनी लंबे वक्त से चली आ रही है। कतर पाबंदियों के बाद झुकने की जगह उस तरफ चला गया जो खेमा सऊदी अरब के खिलाफ है। वहीं, ईरान मुस्लिमों के शिया सम्प्रदाय को मानने वालों का देश है। जो कि सऊदी अरब से बिल्कुल अलग अपनी पहचान रखता है। इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान में जो भी सरकार आई, वो पश्चिमी देशों से लोहा लेती रही। देश की इस्लामिक क्रांति के कारण सऊदी का शाही परिवार घबराता रहा है, कि कहीं यहां भी शासन के खिलाफ किसी के इरादे बुलंद न हो जाएं। जिसके चलते वो अब तक हर कीमत पर ईरान के विरोधियों के पक्ष में रहा है।
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