विश्व

क्या बाइडेन- जिनपिंग की मीटिंग से सुधरेंगे यूएस-चीन के रिश्ते? भारत के लिए क्या है इसके मायने

Renuka Sahu
15 Nov 2021 2:35 AM GMT
क्या बाइडेन- जिनपिंग की मीटिंग से सुधरेंगे यूएस-चीन के रिश्ते? भारत के लिए क्या है इसके मायने
x

फाइल फोटो 

दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्तियों में अमेरिका और चीन का नाम आता है, जो एक दूसरे की टक्कर में हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्तियों में अमेरिका और चीन का नाम आता है, जो एक दूसरे की टक्कर में हैं. एक सुपरपावर बने रहना चाहता है तो दूसरा सुपरपावर बनना चाहता है. इस बीच आज अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) की मीटिंग होने वाली है. अमेरिका चीन से कई मुद्दों पर नाराज है, जैसे कोरोना संक्रमण, दक्षिण चीन सागर में चीन की गतिविधि, मानवाधिकारों का उल्लंघन, लेकिन बावजूद इसके दो आर्थिक महाशक्तियों की आज वर्चुअल मीटिंग होने वाली है. हो सकता है कि इस वर्चुअल बैठक में दोनों देश रियल मुद्दों पर बात करें.

हजारों मील की दूरी से सुलझेगी टेंशन?
दुनिया के नक्शे पर अमेरिका और चीन एक दूसरे से 11 हजार किलोमीटर से भी ज्यादा की दूरी पर हैं, लेकिन असल में सुपरपावर अमेरिका और सुपरपावर बनने का सपना देखने वाले चीन के बीच की दूरी इससे कहीं ज्यादा होगी, क्योंकि इन मुल्कों के बीच तनाव है और तकरार है. इसी तनाव के बीच जो बाइडेन (Joe Biden) और शी जिनपिंग (Xi Jinping) की वर्चुअल मुलाकात होने जा रही है. इसकी जानकारी व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने आधिकारिक बयान जारी कर दी.
बाइडेन और जिनपिंग की मुलाकात के क्या हैं मायने?
कूटनीति तनावपूर्ण रिश्ते वाले दो देशों को भी आमने-सामने एक टेबल पर लाकर बिठा देती है. अमेरिका और चीन की ये बैठक इस बात का प्रमाण है. ये बैठक अचानक नहीं हो रही, बल्कि ये अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और चीन के विदेश नीति सलाहकार यांग जिएजी की अक्टूबर में 6 घंटे तक चली एक बैठक में ही तय हो गया था, लेकिन जो बाइडेन और शी जिनपिंग की मुलाकात के मायने क्या हैं?
बाइडेन-जिनपिंग के बीच किन मुद्दों पर हो सकती है बात
वॉशिंगटन डीसी में 15 नवंबर की शाम (अमेरिकी समय के मुताबिक) को राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के साथ वर्चुअल मुलाकात करेंगे. अपनी 9 सितंबर को फोन पर हुई बातचीत के बाद दोनों नेता अमेरिका और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा को जिम्मेदारी से प्रबंधित करने के तरीकों पर बात करेंगे और जहां दोनों देशों के हित एक हैं, वहां मिलकर काम करने के बारे में विचार किया जाएगा.
दोनों देशों की तरफ से बैठक को लेकर बयान जारी कर दिए गए हैं, लेकिन इस मीटिंग में आर्थिक महाशक्तियों का एजेंडा क्या होगा. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव के बयान के मुताबिक जो बाइडेन सुरक्षा से जुड़े मुद्दे उठाएंगे. दक्षिण चीन सागर में चीन की गतिविधियों को लेकर भी बात हो सकती है. जो बाइडन उत्तर पश्चिम चीन में अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों के हनन को लेकर पहले ही असहमति जाहिर कर चुके हैं. ऐसे में हो सकता है कि वो इस मुद्दे को भी बैठक में उठाएं. वहीं चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि बैठक में द्विपक्षीय संबंधों और साझा हितों के मुद्दों पर बात होगी.
नफा-नुकसान देखे बिना दो ताकतें आमने -सामने नहीं होती. ऐसे में इस वर्चुअल मीटिंग में व्यापार का मुद्दा भी अहम होने वाला है, क्योंकि चीन अपने एक टारगेट से 40 प्रतिशत पीछे है. 2019 में अमेरिका और चीन के बीच एक व्यापार सौदा हुआ था, जिसमें चीन को 15 लाख करोड़ रुपये के अमेरिकी उत्पादन खरीदने हैं. इस साल के आखिर तक व्यापारिक सौदे की सीमा खत्म हो रही है और अभी चीन इस टारगेट का सिर्फ 60 प्रतिशत ही पूरा कर पाया है यानी साल के आखिर तक चीन को अमेरिका से 6 लाख करोड़ का उत्पादन खरीदना है.
भारत के लिए क्या हैं इस बैठक के मायने?
जब वॉशिंगटन डीसी से जो बाइडेन वर्चुअल मीटिंग में हिस्सा ले रहे होंगे तब भारत में मंगलवार की सुबह होगी. वैसे तो चीन की तरफ से बैठक में बातचटीत के मुद्दे साफ नहीं हैं, लेकिन सूत्रों की मानें तो विस्तारवादी चीन, यहां भारत-चीन सीमा विवाद का जिक्र भी ला सकता है.
क्या बैठक से अमेरिका-चीन के रिश्ते होंगे बेहतर?
वर्चुअल मीटिंग की रणनीति तो पहले ही तय हो गई है. अब सवाल ये उठता है कि तनाव के बीच होने जा रही इस मीटिंग से अमेरिका और चीन के रिश्ते बेहतर होंगे या स्थिति पहले जैसी ही रहने वाली है? दक्षिण चीन सागर में चीन के सैन्य निर्माण, अमेरिकी कॉर्पोरेट-सरकारी कंप्यूटर सिस्टम में चीन की हैकिंग, मानव अधिकारों का उल्लंघन, चीन और ताइवान संघर्ष पर बातचीत से माहौल तनावपूर्ण हो सकता है.
अमेरिका व्यापार प्रतिस्पर्धा में अपनी कमान ढीली नहीं करेगा, लिहाजा वो चीन के चैलेंज को स्वीकार भी करेगा, लेकिन इस शर्त के साथ कि चीन उसके लिए चुनौती न बने. अब मंगलवार की सुबह ही मालूम होगा कि जो बाइडेन का वार ज्यादा सटीक बैठा या जिनपिंग की रणनीति.


Next Story