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यूक्रेन जंग में क्‍या रूस की होगी जीत?

Gulabi Jagat
3 July 2022 12:55 PM GMT
यूक्रेन जंग में क्‍या रूस की होगी जीत?
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लुहांस्क प्रांत के गवर्नर ने कहा कि यूक्रेन के लड़ाके हफ्तों से इस शहर को रूसी कब्जे में जाने से बचाने की कोशिश कर रहे हैं
रूस के सैन्य बलों ने पूर्वी लुहांस्क प्रांत में यूक्रेन के आखिरी गढ़ लिसिचांस्क शहर और उसके आस-पास के इलाकों पर अपना कब्जा करने के लिए गोलाबारी तेज कर दी है। लुहांस्क प्रांत के गवर्नर ने कहा कि यूक्रेन के लड़ाके हफ्तों से इस शहर को रूसी कब्जे में जाने से बचाने की कोशिश कर रहे हैं। उधर, रूस के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि उसके सैन्य बलों ने हाल के दिनों में लिसिचांस्क के बाहरी इलाके स्थित तेलशोधन कारखाने पर कब्जा कर लिया है। हालांकि, लुहांस्क के गवर्नर सेरही हैदई ने शुक्रवार को दावा किया कि लड़ाई जारी है। रूस समर्थक अलगाववादियों का लुहांस्क और दोनेत्स्क के बड़े हिस्से पर वर्ष 2014 से ही कब्जा है। रूस ने दोनों क्षेत्र को संप्रभु गणराज्यों के तौर पर मान्यता दी है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस जंग का अंतिम निष्‍कर्ष क्‍या होगा। इस युद्ध में कौन-कौन सी परिस्थिति पैदा हो सकती है।
1- क्‍या इस जंग में रूसी सेना की संभावित जीत होगी?
विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि रूसी सेना का यूक्रेन के अधिकतम क्षेत्रों पर कब्‍जा करने का उद्देश्‍य अभी जीवंत है। रूस अब भी राजधानी कीव पर कब्‍जा करने और यूक्रेन के अधिकांश हिस्से को अपनी अधीन करने की योजना बना रहा है। रूस डोनबास में अपनी बढ़त को भुना सकता है। रूसी सैनिकों को अन्य जगहों पर उपयोग में लाने के लिए वहां से मुक्‍त किया जा रहा है, शायद वो एक बार फिर कीव को भी निशाना बना सकते हैं। यूक्रेन की सेना लगातार नुकसान झेल रही है। राष्ट्रपति जेलेंस्‍की पहले ही स्वीकार कर चुके हैं कि हर दिन 100 के करीब यूक्रेन के सैनिकों की मौत हो रही है और लगभग 500 घायल भी हो रहे हैं। इस मामले में यूक्रेनी नागिरकों का मत अलग-अलग हो सकते हैं, कुछ संघर्ष जारी रखना चाहते हैं, तो अन्य शांति का रास्ता अख्तियार करने की वकालत करते हैं।
2- क्‍या यूक्रेनी सेना रूस पर जीत हासिल करेगी?
उन्‍होंने कहा कि यूक्रेन की तमाम चुनौतियों के साथ यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या यूक्रेन इस जंग में जीत के करीब पहुंच सकता है। क्या यूक्रेनी सेना रूस को वहां खदेड़ने में सफल हो सकती है, जिन जगहों पर रूसी सेना का कब्‍जा है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलेदिमीर जेलेंस्‍की ऐसा दावा तो जरूर करते हैं। यूक्रेनी राष्‍ट्रपति ने कई मौकों पर कहा है कि यूक्रेन निश्चित तौर पर इस युद्ध को जीतेगा। उन्‍होंने कहा इसमें कोई संदेह नहीं है कि यूरोपीय-अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण रूस को नुकसान उठाना पड़ा है। इससे युद्ध के स्तर पर भी असर पड़ा है। यूक्रेन को यूरोपीय देशों और अमेरिका से लगातार सैन्य सहायता मिल रही है। अब यूक्रेन ने अपनी रक्षात्मक नीति को आक्रमण की नीति में बदल दिया है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि नीति निर्माताओं ने इसके परिणामों को लेकर पहले ही चिंता जाहिर कर दी है। अगर ऐसी स्थिति उत्‍पन्‍न होती है तो रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन हार को देखते हुए परमाणु हमला कर सकते हैं।
3- क्‍या यह जंग लंबे समय तक जारी रहेगी?
प्रो पंत ने कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि यूक्रेन-रूस जंग लंबे समय तक जारी रहे। उन्‍होंने कहा कि यह जंग अगर वर्षों तक नहीं तो कम से कम कुछ महीनों तक जारी रहने की पूरी आशंका है। रूस और यूक्रेन की सेनाएं हर रोज एक-दूसरे को टक्कर दे रही हैं। हर रोज एक-दूसरे पर हमला कर रही हैं। ऐसे में इस युद्ध के लंबे समय तक जारी रहने की आशंका प्रबल है। उन्‍होंने कहा कि इस जंग में कभी एक पक्ष थोड़ा मजबूत बनकर उभरता है तो कभी दूसरा पक्ष। इस युद्ध में दोनों में से कोई भी पक्ष झुकने को राजी नहीं है। राष्ट्रपति पुतिन ने शायद यह रणनीति बनाई है कि रणनीतिक धीरज का प्रदर्शन करके वह जीत हासिल कर सकते हैं। हालांकि, यूरोपीय देशों ने अभी तक जिस तरह से यूक्रेन की मदद की है उससे लगता है कि वे यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और आगे भी जारी रखेंगे। ऐसे में यह युद्ध एक हमेशा चलते रहने वाले युद्ध में तब्दील होता जा रहा है।
क्‍या पुतिन कर सकते युद्धविराम की घोषणा?
उन्‍होंने कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि राष्ट्रपति पुतिन एकतरफा युद्धविराम की घोषणा करके पूरी दुनिया को चौंका सकते हैं। पुतिन यह दावा भी कर सकते हैं कि रूस का सैन्य-अभियान अब पूरा हो गया है। डोनबास में रूस समर्थिक अलगाववादियों को सुरक्षित किया गया, क्राइमिया के लिए एक कारिडोर स्थापित किया गया। ऐसे में वह नैतिकता के आधार पर यूक्रेन को लड़ाई रोकने के लिए दबाव बना सकते हैं। रूस इस चाल का इस्तेमाल कभी भी कर सकता है, जिसमें अगर वो यूक्रेन पर यूरोप के दबाव का लाभ उठाना चाहे तो वो समर्पण कर सकता है और दिखावे की शांति के बदले में कुछ क्षेत्रों पर अपना अधिकार छोड़ सकता है।
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