x
अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ ने 2006 में प्लूटो को 'बौने ग्रह' का दर्जा दिया था
वाशिंगटन: अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) ने 2006 में प्लूटो को 'बौने ग्रह' का दर्जा दिया था। आईएयू ने दावा किया था कि प्लूटो एक पूर्ण ग्रह के रूप में वर्गाकृत किए जाने के लिए तीन प्रमुख जरूरतों को पूरा करने में विफल रहा है। वैज्ञानिक पत्रिका 'इकारस' में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में शोधकर्ताओं ने तर्क दिया कि आईएयू को प्लूटो पर अपनी स्थिति बदलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आईएयू को अपनी गैर-वैज्ञानिक परिभाषा को रद्द कर देना चाहिए और संशोधनवादी इतिहास को पढ़ाना कर देना चाहिए।
आईएयू के अनुसार एक खगोलीय पिंड को एक ग्रह माना जाने के लिए इसे गोलाकार होना चाहिए, एक तारे की परिक्रमा करनी चाहिए और अपनी कक्षा में अन्य वस्तुओं के साथ गुरुत्वाकर्षण स्थान समान नहीं होना चाहिए। हालांकि विश्वविद्यालयों, ऑब्जर्वेटरी और रिसर्ज इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने इस फैसले की आलोचना की है। इस विषय पर खगोलीय और ग्रह संबंधी साहित्य का पांच साल तक अध्ययन करने के बाद शोधकर्ताओं ने आईएयू के फैसले को 'जल्दबाजी' करार दिया है।
IAU का निर्णय था 'अवैज्ञानिक'
वे यह भी दावा करते है हैं कि यह निर्णय अवैज्ञानिक था। प्लूटो की ग्रह स्थिति ने 2006 से खगोलीय समुदाय में काफी बहस छेड़ दी है। आईएयू के फैसले के बावजूद कुछ हाई-प्रोफाइल रिपोर्ट्स ने प्लूटो को एक ग्रह के रूप में संदर्भित करना जारी रखा है। एक उदाहरण नासा के पूर्व प्रशासक जिम ब्रिडेनस्टाइन हैं जिन्होंने 2019 में घोषणा की थी कि वह प्लूटो को एक ग्रह मानते हैं। प्लूटो के लिए न्यू होराइजन के मिशन का नेतृत्व करने वाले नासा के वैज्ञानिक एलन स्टर्न ने भी कहा है कि वह इसे एक ग्रह मानते हैं।
प्लूटो पर दिखीं अजीबोगरीब आकृतियां
नासा के न्यू होरिजन्स स्पेसक्राफ्ट ने जब 2015 में अंतरिक्ष की उड़ान भरी थी तो उसने कुछ बेहद अद्भुत तस्वीरें खीचीं। इसमें प्लूटो के सबसे बड़े क्रेटरों में से एक 'स्पुतनिक प्लैनिटिया' की आश्चर्यजनक तस्वीरें भी शामिल थीं। तस्वीरों में सतह पर उकेरी हुईं अजीबोगरीब आकृतियों के एक असामान्य पैटर्न को देखा जा सकता है। नासा के मुताबिक 'पॉलिगोनल या सेलुलर' आकृतियों को बौने ग्रह' को कवर करने वाली नाइट्रोजन बर्फ की परत में हीट एक्सचेंज का परिणाम माना जाता है।
उतार-चढ़ाव संरचना वाली सतह
अमेरिकी स्पेस एजेंसी ने कहा कि स्पुतनिक प्लैनिटिया की सतह किनारे की ओर अंधेरी दिखाई देती है। जो संभवतः संरचना या सतह की बनावट में बदलाव की ओर संकेत करती है। सेल के किनारों पर उठे गहरे रंग के उभार शायद गंदे पानी के 'हिमखंड' हैं जो सघन ठोस नाइट्रोजन में तैर रहे हैं। एक्सेटर विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों सहित अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने बताया है कि कैसे इन असामान्य संरचनाओं ने अपना आकार लिया। स्पुतनिक प्लैनिटिया ग्रह के उत्तरी गोलार्ध में स्थित एक विशाल गड्ढा है, जिसमें किसी छोटे देश जितना बड़ा मैदान है।
Next Story