एक हल्की चूक के चलते अपने मां-बाप से अलग हुई 2 साल की अरिहा को जर्मनी की न्यायालय से आजाद कराने के लिए हिंदुस्तान ने पहल प्रारम्भ कर दी है। प्रवासियों द्वारा प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से अरिहा को बचाने की अपील किए जाने के बाद हिंदुस्तान ने जर्मनी के राजदूत को तलब करके अरिहा को आजाद कराने के मसले पर वार्ता की। बता दें कि प्रवासियों की अपील के बाद हिंदुस्तान ने इस हफ्ते जर्मन राजदूत फिलिप एकरमैन को तलब किया और एक भारतीय बच्ची की वापसी के लिए बल दिया, जो 20 महीने से अधिक समय से बर्लिन के देखभाल केंद्र में रह रही है। अरिहा शाह को दुर्घटनावश चोट लगने के बाद 23 सितंबर, 2021 को जर्मनी के युवा कल्याण कार्यालय की देख-रेख में रखा गया था। वह तब से बाल देखभाल केंद्र में है। घटना के समय अरिहा की उम्र सात महीने थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि एकरमैन को इस हफ्ते की आरंभ में अरिहा मामले पर तलब किया गया था। हिंदुस्तान का मानना है कि बच्ची के लिए उसके भाषाई, धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश में रहना जरूरी है। पिछले वर्ष दिसंबर में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जर्मन की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक को बच्ची के संबंध में अपनी चिंताओं से अवगत कराया था। जर्मनी की न्यायालय ने एक मुद्दे में दो साल की मासूम अरिहा को अपनी हिरास में लेने के बाद संरक्षण में रख लिया है। इसके बाद से ही भारतीय मूल के माता-पिता को उसे पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। इस संबंध में जर्मनी में प्रवासी भारतीय समुदाय के सदस्य फ्रैंकफर्ट में विरोध प्रदर्शन भी कर चुके हैं।
माता-पिता से 7 माह में ही दूर हो गई अरिहा
वर्तमान में जर्मन राज्य सेवाओं की हिरासत में उपस्थित बच्ची अरिहा शाह को उसके भारतीय माता-पिता से मिलाने की पहल चल रही है। वह केवल 7 माह की उम्र में ही मां-बाप से कानूनी पचड़े की वजह से अलग हो गई। प्रवासी हिंदुस्तानियों ने इसके लिए पीएम नरेन्द्र मोदी से सहायता करने की अपील की थी। बच्ची के माता-पिता कानूनी लड़ाई लड़ते हुए परेशान हैं। उन्होंने भी प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से सहायता मांगी है। जर्मनी में प्रवासी भारतीय प्रदर्शनकारी राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को लहरा रहे थे और उन्होंने तख्तियां थामी हुई थीं, जिन पर लिखा था ‘‘मोदीजी अरिहा को बचाइये!’’ और ‘‘अरिहा भारतीय है। अरिहा के माता-पिता भावेश और धारा सितंबर 2021 से अपनी बेटी को वापस पाने के लिए लड़ रहे हैं। मगर जर्मनी की न्यायालय को माता-पिता पर भरोसा नहीं हो पा रहा है। लिहाजा पीएम मोदी से इस मुद्दे में हस्तक्षेप की मांग की गई है।