x
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय जाना जरूरी है क्योंकि JKLF नेता भारत के निवासी नहीं थे और उसे भारतीय कानून के तहत दंडित किया जा रहा है।
यासीन मलिक के केस को पाकिस्तान यूनाइटेड नेशंस और इंटरनेशल कोर्ट ऑफ जस्टिस ले जाने की तैयारी कर रहा है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के तथाकथित राष्ट्रपति सुल्तान महमूद चौधरी ने कहा है कि जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासीन मलिक को निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार से वंचित करने और भारतीय अदालत द्वारा उन्हें उम्रकैद की सजा देने के खिलाफ इंटरनेशल कोर्ट ऑफ जस्टिस सहित और प्रासंगिक मंचों पर उठाने की बात कही।
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में इस मसले को उठाने की तत्काल जरूरत पर जोर देते हुए चौधरी ने कहा है कि सिर्फ 22 दिन शेष हैं, जिसके भीतर यासीन मलिक की दोषसिद्धि और मामले की समीक्षा के खिलाफ अपील अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में दायर की जा सकती है। उन्होंने आगे कहा कि कुछ सीमाओं के कारण पाकिस्तान की जम्मू कश्मीर सरकार इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के साथ अपील दायर नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा है कि नियमों के अनुसार सिर्फ सदस्य देशों को ही अदालत में जाने और इसके साथ अपील दायर करने का अधिकार है।
यासीन मलिक की पत्नी मुशाल हुसैन मलिक ने कहा है कि वह यासीन की जिंदगी को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने यूनाइटेड नेशंस के जनरल सेक्रेटरी को मामले को लेकर चिट्ठी लिखी है। उन्होंने कहा है कि आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय जाना जरूरी है क्योंकि JKLF नेता भारत के निवासी नहीं थे और उसे भारतीय कानून के तहत दंडित किया जा रहा है।
Next Story