क्या ईरान के ब्रिक्स में शामिल होने से ढ़ेगी भारत की चुनौती? जानिए एक्सपर्ट व्यू से क्या है इसका चीन फैक्टर
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ईरान का ब्रिक्स के लिए आवेदन के साथ यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस बदलाव से भारत के समक्ष नई चुनौती खड़ी होगी। आखिरब्रिक्स में ईरान के शामिल होने से कोई बदलाव आएगा। इसके पीछे क्या तर्क है। चीन और रूस के सदस्य देश वाले ब्रिक्स में अगर ईरान शामिल होता है तो भारत और अमेरिका के संबंधों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। आइए जानते हैं कि ब्रिक्स के इस बदलाव को लेकर विशेषज्ञों की क्या राय है। इसे क्वाड के साथ क्यों जोड़कर देखा जा रहा है।
आखिर क्या ब्रिक्स
ब्रिक्स दुनिया की पांच उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है। इसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के इस आर्थिक समूह से जुड़ने से पहले इसे ब्रिक ही कहा जाता था। ब्रिक देशों की पहली शिखर स्तर की आधिकारिक बैठक वर्ष 2009 को रूस के येकाटेरिंगबर्ग में हुई थी। इसके बाद वर्ष 2010 में ब्रिक का शिखर सम्मेलन ब्राजील की राजधानी ब्रासिलीया में हुई थी। ब्रिक्स देशों के सर्वोच्च नेताओं का सम्मेलन हर साल आयोजित किए जाते हैं। ब्रिक्स शिखर सम्मलेन की अध्यक्षता हर साल एक-एक कर ब्रिक्स के सदस्य देशों के सर्वोच्च नेता करते हैं। ब्रिक्स देशों की जनसंख्या दुनिया की आबादी का लगभग 40 फीसद है और इसका वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में हिस्सा लगभग 30 फीसद है। ब्रिक्स देश आर्थिक मुद्दों पर एक साथ काम करना चाहते हैं, लेकिन इनमें से कुछ के बीच राजनीतिक विषयों पर भारी विवाद हैं। इन विवादों में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद प्रमुख है। इसका सदस्य बनने के लिए कोई औपचारिक तरीका नहीं है। सदस्य देश आपसी सहमति से ये फैसला लेते हैं।