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कपड़े के बने बार-बार पहने जा सकने वाले मास्क लोग पिछले एक साल से या उससे भी अधिक समय से इस्तेमाल कर रहे हैं
कपड़े के बने बार-बार पहने जा सकने वाले मास्क लोग पिछले एक साल से या उससे भी अधिक समय से इस्तेमाल कर रहे हैं। इस दिशा में कोलेराडो बोल्डर यूनिवर्सिटी की ओर से किए गए एक नए शोध में सामने आया है कि कपड़े के मास्क को धोने और सुखाने से वायरसों को रोकने की इनकी क्षमता कम नहीं होती है। शोध के मुताबिक, ये बड़े आराम से साल भर तक एकदम कारगर बने रहते हैं।
एरोसोल पत्रिका में प्रकाशित शोध के अनुसार, सर्जिकल मास्क के ऊपर एक सूती मास्क पहनने से चेहरा पूरी तरह से ढक जाता है। यह केवल सूती मास्क पहनने की अपेक्षा बेहतर और सुरक्षित विकल्प है। मैकेनिकल इंजीनिय¨रग के असिस्टेंट प्रोफेसर पाल एम. रेडी ने कहा कि सूती मास्क को धोया, सुखाया और फिर इस्तेमाल किया जा सकता है। जब तक आप उसे फेंक न दें, तब तक यह उपयोगी है।
उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण की शुरुआत में हर दिन 7,200 टन चिकित्सकीय कचरा निकलता था। इसमें सबसे ज्यादा डिस्पोजेबल मास्क होते थे। लेकिन सूती मास्क को उपयोग में लाने से यह कचरा कई गुना कम हो गया है, जो पर्यावरण के लिए भी काफी अच्छा है। नेशनल रिन्यूएबल एनर्जी लेबोरेट्री (एनआरईएल) के शोध के मुताबिक, कपड़े के मास्क को धोकर सुखाने से इसकी क्षमता में कोई कमी नहीं आती है। शोध में दोहरी परत वाले सूती मास्क को 52 बार धोया और सुखाया गया। सात दिनों में एक बार इसकी गुणवत्ता को परखा गया। यह मास्क वायरल संक्रमण को रोकने में पहले जैसा ही कारगर पाया गया।
Gulabi
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