पाकिस्तान की नजरें फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी (FATF) पर टिकी है। पाकिस्तान सरकार की नजरें एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रहने या बाहर आने पर रहेगी। इसके अलावा प्रधनामंत्री शहबाज शरीफ को एक और बड़ी चिंता सता रही है कि एफएटीएफ कहीं उसे ब्लैक लिस्ट न कर दे। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान ने उन मानकों को पूरा कर लिया है, जो ग्रे लिस्ट से बाहर हो सके। हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने इसके लिए कूटनीतिक प्रयास तेज कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि एफएटीएफ की मीटिंग में बहुत सख्ती से इस बात पर गौर किया जाएगा कि शहबाज सरकार ने टेरर फाइनेंसिंग और बड़े आतंकियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की और इसके सबूत कहां हैं? अगर पाकिस्तान सबूत मुहैया नहीं कराता तो उसका ग्रे लिस्ट में रहना तय है।
पाकिस्तान की नई सरकार की चिंता बढ़ी
खासकर इस बैठक को लेकर पाकिस्तान की धड़कनें बढ़ गई है। आर्थिक रूप से तंग पाकिस्तान के लिए एफटीएफ की यह बैठक काफी खास है। इस बैठक में यह तय होगा कि पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर निकल पाएगा या नहीं। पाकिस्तान की नई सरकार को यह भी चिंता सता रही होगी कि कहीं एफएटीएफ उसे ब्लैक लिस्ट न कर दें। अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान की छिछालेदर होना तय है। भारत और चीन की नजर भी इस बैठक में टिकी है। यहां सवाल यह है कि चीन आखिर हर बार मसूद अजहर पर अपनी कृपा क्यों बरसाता है। चीन अजहर को चरमपंथी घोषित करने की मांग का विरोध क्यों करता रहा है। इस बार एफएटीएफ की बैठक में चीन की क्या भूमिका हो सकती है। उसके अन्य समर्थकों का क्या रवैया होगा।
क्या होगा चीन का स्टैंड, भारत की टिकी निगाह
प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि इस बार एफएटीएफ की बैठक में चीन का क्या स्टैंड होगा, यह देखना दिलचस्प होगा। उन्होंने कहा कि इसके पूर्व संयुक्त राष्ट्र के 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद में चीन अकेला ऐसा मुल्क है जो अजहर को आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रयास का विरोध करता था। बता दें कि चीन के विरोध के चलते भारत का मोस्टवांटेड आतंकवादी अजहर बतौर आतंकवादी संयुक्त राष्ट्र की सूची में शामिल होने से हर बार बच जाता था। वर्ष 2019 में आतंकवाद के मोर्चे पर भारत को बड़ी कूटनीतिक कामयाबी तब मिली थी, जब संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान से संचालित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया। इससे पहले चीन सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति में बार-बार अड़ंगा लगा रहा था। एफएटीएफ की बैठक में भी चीन पाकिस्तान का पक्ष लेता रहा है। बता दें कि अजहर ने पुलवामा आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी। इस आतंकी घटना में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 जवान शहीद हुए थे।
34-सूत्रीय कार्य योजना में से 30 पर ही अमल
इसके पूर्व एफएटीएफ ने पाकिस्तान को 34-सूत्रीय कार्य योजना सौंपी थी। इसमें से 30 पर ही कार्रवाई की गई। मालूम हो कि एफएटीएफ ने गत वर्ष जून में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा था। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठनों और उनके सरगनाओं पर मुकदमा चलाने के भी निर्देश दिए थे। इसके साथ ही एफएटीएफ ने पाकिस्तान को एक कार्य योजना दी थी और इस पर सख्ती से अमल करने को कहा था। पाकिस्तान में आतंकी संगठन जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर भारत की वांटेड लिस्ट में भी शामिल हैं। पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित आतंकियों के खिलाफ केवल दिखावे के लिए ही कार्रवाई करता है। इनके खिलाफ पाकिस्तान हुकूमत ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। भारत लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई किए जाने का दबाव बनाता रहा है।