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हांगकांग, (आईएएनएस)| भारत के पड़ोसी देश चीन इन दिनों कोरोना वायरस की लहर का सामना कर रहा है। जिस कारण देश में दवा की कमी हो गई है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लोग फ्लू जैसे लक्षणों को कम करने के लिए बुखार और दर्दनाशक दवाएं खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, हांगकांग, मकाओ, ताइवान और यहां तक कि ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों से आयात की गई दवाओं की कमी इस समय चीनी सरकार के सामने प्रमुख चिंता का कारण बनी हुई है। यहां के लोकल दवा विक्रेताओं के पास दवाओं की पूरी आपूर्ति नहीं पहुंच पा रही है, जिससे आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि लोग कोरोना वायरस से लड़ने के लिए घरेलू उपचार के तरीकों की भी तलाश कर रहे हैं। स्थिति संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में बच्चों के दर्द निवारक दवाओं की कमी को भी दशार्ती है। सीएनएन के मुताबिक, अधिकारियों द्वारा लोगों से कोल्ड मेडिसिन की जमाखोरी नहीं करने की अपील भी की गई है।
एक सेल्सपर्सन ने सीएनएन को बताया कि वान चाई के कमर्शियल जिले में पांच दवा की दुकानों पर टाइलेनॉल के स्थानीय ब्रांड नाम पनाडोल दो हफ्तों के लिए बिक चुका है। एक सेल्समैन साइमन ने कहा कि लोग दवा को खरीदकर अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों को पहुंचा रहा हैं इसलिए कमी देखी जा रही है।
सेल्समैन ने कहा कि जब उसका स्टोर कुछ आपूर्ति हासिल करने में कामयाब हो जाता है, तो वह चीन में पुराने ग्राहकों को डिलीवरी प्रदान करने में सक्षम होता है लेकिन इसमें लगभग दो सप्ताह का समय लगता है। इसके लिए 19 डॉलर और 26 डॉलर प्रति 2 किग्रा के बीच खर्च होता है। उन्होंने कहा कि हम मकाओ को डाक द्वारा दवाई भेजते हैं, जहां हमारे एजेंट उन्हें उठाते हैं और फिर उन्हें सीमा पार झुहाई तक पहुंचाते हैं।
एक स्थानीय समाचार पत्र के अनुसार, ड्रग रेगुलेटर ने मकाओ में पिछले हफ्ते फार्मेसियों को दर्द निवारक, बुखार की दवाओं और एंटीजन टेस्ट किट की खरीद को सीमित करने का आदेश दिया था।
--आईएएनएस
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