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पाकिस्तानी नोटों पर जिन्ना की तस्वीर छपने का क्यों हुआ था विरोध, मुशर्रफ ने भी रची थी नापाक साजिश

Neha Dani
26 Dec 2021 7:36 AM GMT
पाकिस्तानी नोटों पर जिन्ना की तस्वीर छपने का क्यों हुआ था विरोध, मुशर्रफ ने भी रची थी नापाक साजिश
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उन्‍होंने किसी व्‍यक्ति की तस्‍वीर छापने की प्रथा का विरोध किया था।

Zभारत में नोटों पर राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी की तस्‍वीरों का इस्‍तेमाल आजादी के बहुत बाद में शुरू हुआ था लेकिन पाकिस्‍तान में कायद-ए-आजम के फोटो को छापने की शुरुआत साल 1957 में ही हो गई थी। स्‍टेट बैंक ऑफ पाकिस्‍तान ने 24 दिसंबर, 1957 को पहली बार पाकिस्‍तान के संस्‍थापक जिन्‍ना की तस्‍वीर को 100 रुपये के नोट पर छापा था। ये नोट कराची, लाहौर और ढाका (अ‍ब बांग्‍लादेश) से जारी किए गए थे। पाकिस्‍तान के सैन्‍य तानाशाह परवेज मुशर्रफ ने अपने शासन काल के दौरान करंसी नोटों पर से जिन्‍ना की तस्‍वीर को हटाकर अपनी तस्‍वीर छापने की चाल चली थी लेकिन ऐसा हो नहीं सका।

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक यह पाकिस्‍तान का पहला करंसी नोट था जिस पर किसी इंसान की तस्‍वीर थी। जिन्‍ना की तस्‍वीर छपते ही पाकिस्‍तान में बवाल मच गया था। पाकिस्‍तानी उलेमा और अन्‍य लोगों ने इसका कड़ा विरोध किया था। पाकिस्‍तान के सेंट्रल जमीयत उलेमा-ए-पाकिस्‍तान के अध्‍यक्ष मौलाना अब्‍दुल हमीद बदायूंनी ने इसका जोरदार विरोध किया था। बदयूंनी ने कहा कि जिन्‍ना को डाक टिकट तक पर भी अपनी तस्‍वीर पसंद नहीं थी।
पाकिस्‍तान सरकार का कदम 'मुस्लिम भावना का अपमान'
मौलाना ने बताया कि जिन्‍ना ने अपने जीवनकाल में डाक-टिकटों पर चांद और तारों या किसी पाकिस्‍तानी इमारत की तस्‍वीर को लगाना उचित समझा था। वहीं
पाकिस्तान दस्तूर (ऑल पाकिस्तान कॉन्स्टीट्यूशन) पार्टी के अध्यक्ष मौलाना असद-उल-क़ादरी ने पाकिस्‍तान सरकार के इस कदम को 'मुस्लिम भावना का अपमान' बताया था। उन्‍होंने यह भी कहा कि यह पूरी तरह से गैर इस्‍लामी तरीका है। मौलाना असद ने लोगों से अपील की थी कि वे जिन्‍ना की तस्‍वीरों वाले नोटों का बहिष्‍कार करें।
वहीं पाकिस्‍तान के सैन्‍य तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ को भी नोटों पर जिन्‍ना की तस्‍वीर पसंद नहीं थी और वह उनकी जगह अपनी तस्‍वीर को छपवाना चाहता था। पाकिस्‍तान के पूर्व पीएम मीर जफरुल्‍ला खान जमाली ने साल 2010 में खुद इसका खुलासा किया था। जमाली ने मुशर्रफ की इस योजना का कड़ा विरोध किया और उसे मानने से इनकार कर द‍िया था। जमाली ने कहा कि उन्‍हें इस बात की जानकारी नहीं है कि किसने मुशर्रफ को नोटों पर अपनी तस्‍वीर छपवाने का आइडिया दिया था।
व्‍यापारियों ने भी जिन्‍ना की तस्‍वीर को लगाने का विरोध किया
पाकिस्‍तान के मौलानाओं के साथ ही साथ वहां के व्‍यापारियों ने भी जिन्‍ना की तस्‍वीर को लगाने का विरोध किया था। उस समय छपे पाकिस्‍तानी मीडिया के लेखों के मुताबिक सरगोधा में 8 धार्मिक और अन्‍य दलों के नेताओं ने जिन्‍ना की तस्‍वीर छापने को पाकिस्‍तान के संविधान के दिशानिर्देशों और उसकी मूल भावना के खिलाफ बताया था। उन्‍होंने किसी व्‍यक्ति की तस्‍वीर छापने की प्रथा का विरोध किया था।


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