रूस क्यों विक्टर यानुकोविच को यूक्रेन की कमान सौपना चाहता हैं, जानिए विक्टर यानुकोविच के बारे में
रूस की तरफ से यूक्रेन के खिलाफ जंग छेडे़ हुए अब एक हफ्ता पूरा हो चुका है। हालांकि, इसके बावजूद रूस को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को हटाने में कोई सफलता नहीं मिली है। बताया गया है कि रूस इस बीच यूक्रेन से युद्ध खत्म करने के लिए समझौता तक करने को तैयार है। हालांकि, वह अपनी एक मांग पर टिका है। यह मांग है जेलेंस्की को राष्ट्रपति पद से हटाने की। रूस चाहता है कि यूक्रेन के पश्चिमी देशों की तरफ बढ़ते कदम रोके जाएं और इसके लिए वह अपने प्रित वफादार एक नेता को पद पर बिठाना चाहता है। इसमें पुतिन की पहली पसंद के तौर पर विक्टर यानुकोविच का नाम सामने आया है, जो कि यूक्रेन के पूर्व राष्ट्रपति रह चुके हैं।
कौन हैं विक्टर यानुकोविच?
यूक्रेन की स्वतंत्र न्यूज एजेंसी कीव इंडिपेंटेंड ने दावा किया है कि रूस एक तरफ जहां समझौते के जरिए युद्ध खत्म करने की बात कह रहा है, वहीं दूसरी तरफ से वह यूक्रेन की सत्ता बदलने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए पुतिन सरकार ने विक्टर यानुकोविच को गद्दी पर बिठाने का लक्ष्य रखा है। मौजूदा समय में यानुकोविच रूस के प्रभाव वाले बेलारूस में छिपा है और यहीं से उसे यूक्रेन में शासन करने के लिए तैयार किया जा रहा है। विक्टर यानुकोविच शायद दुनिया के पहले ऐसे राष्ट्राध्यक्ष हैं, जिन्हें एक बार नहीं बल्कि दो-दो बार अपने खिलाफ प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा और काफी खून बहाने के बाद उन्हें पद से भी हटा दिया गया।
यानुकोविच का जन्म जुलाई 1950 में सोवियत शासन के दौरान यूक्रेन के उत्तरी शहर येनाकीवो में हुआ था। अपने युवा दौर में वे दो बार हिंसा के लिए जेल गए। साल 2000 में 50 साल की उम्र में उन्हें इकोनॉमिक्स में पीएचडी मिली। इसके बाद वे डोनेत्स्क क्षेत्र के गवर्नर बन गए। नवंबर 2002 में यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति लियोनिड कुशमार ने उन्हें प्रधानमंत्री बना लिया। हालांकि, उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार और आर्थिक घोटालों के जबरदस्त आरोप लगे।
पहली बार प्रदर्शनों के चलते छोड़ना पड़ा था पद?
इसके बावजूद 2004 में यानुकोविच ने राष्ट्रपति पद पर नामांकन के लिए चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। लेकिन कीव में उनके खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शनों की शुरुआत हो गई। इन प्रदर्शनों को बाद में ऑरेंज रेवोल्यूशन नाम दिया गया। बाद में यानुकोविच के चुनाव में धोखाधड़ी की बात सामने आई और उन्हें पद छोड़ना पड़ा। 2006 से 2007 के बीच यानुकोविच एक बार फिर प्रधानमंत्री बने।
दूसरी बार हुआ विरोध तो देश छोड़कर ही भागे
यानुकोविच पहली बार 2010 में स्पष्ट बहुमत से चुनाव जीते और इन चुनावों में किसी तरह की गड़बड़ी भी नहीं पाई गई। यहीं से यानुकोविच के भ्रष्टाचार की शुरुआत फिर हुई। उनके शासन में विपक्षी पार्टी की नेता तायमोशेंको को जेल में डाल दिया गया। यानुकोविच ने राष्ट्रपति रहते हुए यूरोप के साथ अच्छे रिश्ते स्थापित किए। लेकिन जब यूक्रेन को यूरोप में शामिल करने की बात आई, तो 2013 में उन्होंने प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उनके इस कदम के खिलाफ यूक्रेन की सड़कों पर फिर आग भड़क उठी। 18-22 फरवरी 2014 के बीच यानुकोविच के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए और इस दौरान उनके आदेश पर ही प्रदर्शनकारियों के एक समूह पर गोलीबारी की गई, जिसमें 88 लोगों की मौत हो गई। इन मौतों से पूरी दुनिया में हलचल मच गई। बाद में यूरोप के दबाव में आकर यानुकोविच ने जल्दी चुनाव कराने का फैसला किया, लेकिन इसी बीच अपने खिलाफ बढ़ते प्रदर्शनों को देखते हुए वे खुद देश छोड़कर भाग खड़े हुए। फिलहाल यूक्रेन में उनके खिलाफ मासूमों की जान लेने का आरोप है और यूक्रेन की धरती पर उतरते ही उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश है।
क्या हैं रूस से यानुकोविच के संबंध?
यह आज तक साफ नहीं हो पाया है कि आखिर 2014 में प्रदर्शनों के बीच भी यानुकोविच कीव से कैसे बच निकले थे। लेकिन कुछ रिपोर्ट्स के हवाले से सामने आया था कि वे पहले खारकीव पहुंचे थे और उसके बाद एक वीडियो मैसे रिकॉर्ड किया था, जिसमें उन्होंने यूक्रेन की जनता को बैंडिट (डाकू) बता दिया था। बाद में वे किसी देश की मदद से हेलिकॉप्टर में बैठकर डोनेत्स्क भाग निकले थे। लेकिन रूस जाने की उनकी योजना फेल हो गई। इसके बाद यानुकोविच पहले क्रीमियाई प्रायद्वीप में दिखे। यहां से खबरें आईं कि उन्हें रूस से सुरक्षा मिली है। यहीं से उनके रूस समर्थन की पूरी सच्चाई सामने आ गई थी। वे यूक्रेन की रूसी बोलने वाली जनता के बीच काफी लोकप्रिय भी रहे हैं और पुतिन के साथ अच्छे रिश्ते साझा करते हैं। 2004 में जब वे पहली बार यूक्रेन के राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़े थे, तब पुतिन ने उनका खुलकर समर्थन किया था। यूक्रेन छोड़ने के बाद उन्हें बेलारूस भिजवाने और वहां शरण दिलवाने में भी रूस की सरकार की अहम भूमिका बताई जाती है।