इस्राइल के प्रधानमंत्री नेफ़्टाली बेनेट ने क्यों रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता की पहल की
इसराइल के प्रधानमंत्री नेफ़्टाली बेनेट ने 27 फ़रवरी को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत के दौरान मॉस्को और यूक्रेन के बीच मध्यस्था की पेशकश की. इसराइली मीडिया ने इसकी जानकारी दी है. इसराइल के वाईनेट न्यूज़ पोर्टल ने एक "सरकारी अधिकारी" के हवाले से कहा कि पुतिन ने ये कहा कि वो बातचीत के लिए तैयार हैं. इसके जवाब में बेनेट ने कहा कि "इसराइल संकट को हल करने और दोनों पक्षों को क़रीब लाने के लिए किसी भी तरह की मदद देने को तैयार है." इसराइल के प्रधानमंत्री ने ऐसा अपनी विशेष स्थिति को देखते हुए कहा. दरअसल, इसराइल के रूस और यूक्रेन दोनों ही पक्षों से अच्छे संबंध हैं रिपोर्ट के मुताबिक़, दोनों नेताओं ने रूस और इसराइल के बीच "लगातार संपर्क" बनाए रखने पर भी सहमति जताई. रूस की ओर से जारी किए गए एक बयान में भी कहा गया है कि बेनेट ने मध्यस्थता का प्रस्ताव पेश किया है.
रूस और यूक्रेन दोनों से इसराइल के अच्छे संबंध : बड़ी संख्या में पूर्व सोवियत संघ के देशों के प्रवासियों की आबादी वाले इसराइल के रूस और यूक्रेन दोनों से ही अच्छे संबंध हैं. बेनेट और उनसे पहले इस पद पर रहने वाले बिन्यामिन नेतन्याहू कई बार पुतिन से मिले और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने भी 2020 में इसराइल का दौरा किया था. विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसराइल के सरकारी चैनल 'कैन' को दिए इंटरव्यू में ये बात स्वीकार की थी कि बीते 25 फ़रवरी को ज़ेलेंस्की ने फ़ोन पर हुई बातचीत के दौरान इसराइली पीएम से रूस के साथ संघर्ष में मध्यस्थता करने को कहा था. प्रधानमंत्री बेनेट द्वारा मध्यस्थता की मांग किए जाने की पुष्टि इसराइल में यूक्रेन के राजदूत ने भी की. उन्होंने सीएनएन और न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत के दौरान इस बात को माना. कैन ने शुरुआती रिपोर्ट में दावा किया कि ज़ेलेंस्की ने बेनेट से बातचीत के दौरान कहा, "हम चाहते हैं कि वार्ता यरुशलम में हो. हमें लगता है कि इसराइल ही ऐसा देश है जो इस तरह की मध्यस्थता कर सकता है." विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि इसराइल संघर्ष में शामिल दोनों पक्षों के लिए अपने दरवाज़े खुले रख रहा है. उन्होंने कहा, "हमारे पास यहूदी समुदाय में सिर्फ़ यूक्रेन का पक्ष लेने वाले लोग नहीं बल्कि रूस का पक्ष लेने वाले लोग भी हैं. इसराइल रूस के साथ सैन्य समन्वय बनाए रखता है और ये ज़रूरी है कि इसको नुक़सान न पहुंचे. ये इसराइल की सुरक्षा के लिए ज़रूरी है."