x
ब्रह्मांड को लेकर इंसानी आंखें सदा से उत्सुक रही हैं
ब्रह्मांड को लेकर इंसानी आंखें सदा से उत्सुक रही हैं। दूर अंतरिक्ष को निहारते वक्त ऐसे कई सवाल हमारे जहन में उठते हैं, जिनका उत्तर हमें अब तक पता नहीं लग पाया है। ये अनंत असीमित ब्रह्मांड अपने भीतर कई रहस्यों को छुपाए हुए है, जिनको जानने के लिए इंसानी मस्तिष्क सदा से उत्सुक रहा है। इन्हीं रहस्यों को सुलझाने के लिए Nasa, यूरोपियन स्पेस एजेंसी और कनाडियन स्पेस एजेंसी द्वारा तैयार किया गया James Webb Space Telescope 25 दिसंबर के दिन एरियन रॉकेट के जरिए लॉन्च होने जा रहा है। हब्बल का उत्तराधिकारी कहा जाने वाला ये टेलीस्कोप उससे 100 गुना ज्यादा शक्तिशाली है। James Webb Space Telescope अंतरिक्ष की सुदूर गहराइयों को देखने में सक्षम होगा। इसके अलावा ये उन अकाशगंगाओं के बारे में पता लगा लगाएगा, जिनका फॉर्मेंशन बिग बैंग के बाद हुआ था। आप इस टेलीस्कोप की काबिलियत का पता इस बात से लगा सकते हैं कि अगर इसको चांद पर रख दिया जाए, तो ये पृथ्वी पर उड़ रही एक मक्खी को भी आसानी से डिटेक्ट कर सकेगा। इसे बनाने में करीब 9.7 बिलियंस डॉलर का खर्चा आया है।
इस टेलीस्कोप में कई विशेष उपकरणों को लगाया गया है। हालांकि, इसमें लगा सोना इन दिनों काफी चर्चा का विषय बन हुआ है। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के ऑप्टिक्स पर करीब 25 लाख रुपये के सोने की परत को चढ़ाया गया है। इसके ऑप्टिक्स को 48 ग्राम सोने से कोट किया गया है। इस कारण ये दुनिया का पहला ऐसा स्पेस टेलिस्कोप है, जिसको बनाने में सोने का उपयोग किया गया है। आप में से कई लोग सोच रहे होंगे कि आखिर इसमें सोने का उपयोग क्यों किया गया है? आइए जानते हैं इसके बारे में -
सोना एक गैर प्रतिक्रिया करने वाला धातु है। ऐसे में अंतरिक्ष में लॉन्च होने के बाद कोई दूसरा पदार्थ इसके ऑप्टिक्स को रियेक्ट करके जल्द खराब नहीं कर सकेगा। इस कारण टेलीस्कोप के ऑप्टिक्स लंबे समय तक टिकाऊ रहेंगे। सोने की परत टेलीस्कोप पर पड़ने वाली वाली इंफ्रारेड लाइट में से 99 प्रतिशत प्रकाश को रिफ्लेक्ट कर देगी। ऐसे में टेलीस्कोप ठंडा रहेगा। इन्हीं चीजों को ध्यान में रखकर टेलीस्कोप के ऊपर सोने का इस्तेमाल किया गया है।
ब्रह्मांड के जन्म को लेकर हमारे बीच कई थ्योरीज और मान्यताएं हैं। उनमें से सबसे स्थापित सिद्धांत बिग बैंग का है। बिग बैंग थ्योरी के मुताबिक ब्रह्मांड का सारा कुछ महज एक बिंदु में कैद था। अचानक हुए एक महाविस्फोट के बाद ये दुनिया अस्तित्व में आई। हालांकि, बिग बैंग के बाद ये ब्रह्मांड कैसे बना? इसको लेकर हमारे पास ज्यादा जानकारी नहीं है। इसी जानकारी को जुटाने का काम ये टेलीस्कोप करेगा। ये ब्रह्मांड को इंफ्रारेड वेवलेंथ की नजर से देखेगा।
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप आने वाले समय में अंतरिक्ष से जुड़े रिसर्च के कई नए आयाम खोलने वाला है। ये डार्क एनर्जी, गैलेक्सी फॉर्मेशन, तारों का जीवन चक्र आदि कई जटिल विषयों के बारे में बारीक जानकारी इकट्ठा करेगा। इस विशालकाय टेलीस्कोप में कई तरह के विशेष उपकरणों को लगाया गया है। ये लंबी दूरी से सफर करके आ रही इंफ्रारेड तरंगों को पकड़ने में भी काबिल होगा। ये लाइट को ऑब्जर्व करके करोड़ों प्रकाश वर्ष दूर स्थित प्लेनेट के बारे में काफी कुछ पता लगा सकेगा। ऐसे में एग्जोप्लेनेट की खोज करने में जेम्स वेब एक मील का पत्थर साबित होने वाला है।
ये टेलीस्कोप धूल के बादलों के पीछे छुपे तारों को देखने में भी सक्षम होगा। जेम्स वेब ब्रह्मांड में 13.7 बिलियन प्रकाश वर्ष पुरानी लाइटों को देख सकेगा। इस कारण कई वैज्ञानिक इसकोको ब्रह्मांड की टाइम मशीन भी कर रहे हैं। अगर मौसम ठीक रहा, तो जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप को 25 दिसंबर के दिन शाम 5:30 से 6:15 के बीच लॉन्च किया जा सकता है।
Next Story