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रूस यूक्रेन जंग के दौरान अंतरराष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में क्यों है भारत? विशेषज्ञों से जानें
Gulabi Jagat
12 April 2022 8:19 AM GMT
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रूस यूक्रेन जंग के चलते अंतरराष्ट्रीय राजनीति में काफी बदलाव आए हैं
नई दिल्ली, जेएनएन। रूस यूक्रेन जंग के चलते अंतरराष्ट्रीय राजनीति में काफी बदलाव आए हैं। इसका असर भारत पर भी पड़ा है। हालांकि, इस जंग के दौरान भारत अंतरराष्ट्रीय राजनीति का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। एक पखवाड़े में दस से ज्यादा देशों के राष्ट्राध्यक्ष या विदेश मंत्री या बड़े अधिकारियों ने भारत का दौरा किया है। इन देशों में प्रमुख रूप से रूस, ब्रिटेन, चीन, कनाडा, ग्रीस, ओमान, श्रीलंका, मैक्सिको और आस्ट्रिया के विदेश मंत्री, जापानी प्रधानमंत्री और अमेरिका के डिप्टी एनएसए शामिल रहे हैं। दुनियाभर के प्रमुख देशों के प्रतिनिधियों के लगातार भारत दौरे ने यह साबित किया है कि रूस-यूक्रेन जंग से उपजे हालात में भी दुनिया के प्रमुख देशों को भारत की अहमियत पता है। यह दुनिया में भारत के बढ़ते प्रभाव की निशानी है। आइए जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत का कद रूस और अमेरिका के लिए क्यों बढ़ा है।
1- प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है रूस यूक्रेन जंग में भारत की तटस्थता नीति की निंदा करने के बावजूद इसका असर भारत अमेरिका के संबंधों पर नहीं पड़ा। यही वजह है कि रूस यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद विभिन्न स्तरों पर दोनों देशों के बीच कई स्तर की वार्ता हो चुकी है। इस मामले में तमाम असहमति के बावजूद एक महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन कई बार वार्ता कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने इसका असर संबंधों पर नहीं पड़ने दिया है। इसका मकसद दोनों के बीच व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाना है। भारत के समक्ष कूटनीतिक स्तर पर यह बड़ी चुनौती है कि वह रूस के साथ अपने पुराने संबंधों का निर्वाह करें और पिछले एक दशक में अमेरिका के साथ मजबूत साझेदारी के रूप में अपने रिश्ते को आगे बढ़ाए।
2- उन्होंने कहा कि अमेरिका यह जानता है कि दक्षिण चीन सागर एवं हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभुत्व को रोकने के लिए भारत बेहद उपयोगी है। चीन पर नकेल लगाने के लिए अमेरिका को भारत का साथ चाहिए। हाल के दिनों में अमेरिका के लिए भारत की सामरिक उपयोगिता बढ़ी है। क्वाड का गठन इसी कड़ी में जोड़कर देखा जाना चाहिए। इसके अलावा ताइवान भी एक बड़ा फैक्टर है, जहां चीन और अमेरिका आमने-सामने हैं। ऐसे में अमेरिका भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को बढ़ा रहा है। यूक्रेन जंग में वह भारत की नीतियों के विरोध के बावजूद नई दिल्ली से रिश्ते खराब नहीं करना चाहता।
3- प्रो पंत का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत की अहमियत की एक वजह यह भी है कि भरत जनवरी 2023 तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य है। ऐसे में सभी देश चाहते हैं कि भारत अगर उनका साथ न दे तो कम से कम विरोध भी न करे। इसके अलावा भारत दक्षिण एशिया का सबसे ताकतवर एवं सक्षम देश है। भारत दुनिया के सबसे प्रमुख बाजारों में से है, यानी बड़े देशों के फायदे के लिए बहुत जरूरी है। यही वजह है कि सभी ताकतवर देश भारत को अपने पाले में रखना जरूरी मानते हैं।
रूस और अमेरिका से भारत के रक्षा और व्यापारिक रिश्ते
पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत-अमेरिका के संबंध बहुत तेजी से मजबूत हुए हैं। साथ ही रक्षा क्षेत्र में भी दोनों देशों के संबंध तेजी से मजबूत हुए हैं। अगर भारत अमेरिका के व्यापार पर नजर डाले तो दोनों देशों के बीच कुल व्यापार 2019 तक 146 अरब डालर यानी करीब दस लाख करोड़ रुपये का था। यह भारत रूस के व्यापार का करीब 15 गुना है। अमेरिका के बाद रूस भारत का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा सहयोगी है। भारत की हथियार खरीद में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 14 फीसद है। अमेरिका के साथ भारत का रक्षा व्यापार 21 अरब डालर यानी 1.56 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है।
उधर, रूस भारत के लिए रक्षा क्षेत्र में बहुत अहम है। रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है। 2020 में भारत ने अपने कुल हथियार का करीब 50 फीसद रूस से खरीदा था। वर्ष 2018 से 2021 के दौरान महज पिछले तीन सालों में ही भारत-रूस के बीच रक्षा व्यापार 15 अरब डालर यानी 1.12 लाख करोड़ रुपए का रहा। 2020 में भारत का रूस के साथ कुल व्यापार 9.31 अरब डालर यानी 69.50 हजार करोड़ रुपए रहा। दोनों देशों का लक्ष्य 2025 तक इसे बढ़ाकर 30 अरब डालर यानी 2.2 लाख करोड़ रुपए करने का है।
Gulabi Jagat
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