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भारत के चिकेन नेक पर क्यों गड़ी हुई है चीन की निगाहें? क्या है इस इलाके की अहमियत?

Renuka Sahu
28 Oct 2021 5:26 AM GMT
भारत के चिकेन नेक पर क्यों गड़ी हुई है चीन की निगाहें? क्या है इस इलाके की अहमियत?
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फाइल फोटो 

चीन अपनी विस्तारवादी नीति पर तेजी से काम करते हुए पड़ोसी देशों की भूमि पर अवैध कब्जे की कोशिश कर रहा है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीन अपनी विस्तारवादी नीति पर तेजी से काम करते हुए पड़ोसी देशों की भूमि पर अवैध कब्जे की कोशिश कर रहा है. भारत की ओर बढ़ने पर चीन को भारतीय सेना (Indian Army) की ओर से करारा जवाब मिलता है. इसके बावजूद चीन की नजरें भारत के 'चिकेन नेक' पर गड़ी हुई हैं. सिलीगुड़ी कॉरिडोर (Siliguri corridor) को भारत के 'चिकन नेक' (Chicken neck) के रूप में जाना जाता है. 2017 में जब भारत और चीन के बीच डोकलाम संकट (India-China Doklam crisis) पैदा हुआ, तो ये एक महत्वपूर्ण मार्ग बनकर उभरा.

ये कॉरिडोर पश्चिम बंगाल (West Bengal) में स्थित है. इसकी लंबाई 60 किमी है और ये 20 किमी चौड़ा है. सिलीगुड़ी कॉरिडोर उत्तर-पूर्व को भारत के बाकी हिस्सों से जोड़ता है. ये कॉरिडोर न केवल एक जरूरी व्यापार मार्ग है बल्कि दक्षिण पूर्व एशिया (South East Asia) के लिए भी एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार है. आइए जानते हैं क्यों खास है चिकन नेक?
यह क्षेत्र बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और चीन से घिरा हुआ है. चिकन नेक कॉरिडोर से तिब्बत की चुंबी घाटी (Chumbi valley) महज 130 किमी दूर है.
हिमालय पर्वत जैसे माउंट कंचनजंगा दो प्रमुख नदियों का स्रोत हैं, जिन्हें तीस्ता और जलदाखा के नाम से जाना जाता है. ये दोनों बांग्लादेश में प्रवेश करने पर ब्रह्मपुत्र नदी में मिल जाती हैं.
भारत के पूर्वोतर क्षेत्र में 50 मिलियन लोगों की आबादी है और ज्यादातर नेपाली और बंगाली अप्रवासी पाए जाते हैं. अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से यह कॉरिडोर उत्तर-पूर्वी राज्यों और शेष भारत के व्यापार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.
यह उनके बीच एकमात्र रेलवे फ्रेट लाइन भी होस्ट करता है. दार्जिलिंग की चाय और इमारती लकड़ी इस क्षेत्र के महत्व को और बढ़ा देती है.
एलएससी के पास सड़क मार्ग और रेलवे सिलीगुड़ी कॉरिडोर से जुड़े हुए हैं. इस कॉरिडोर के जरिए ही उन्हें सभी जरूरी चीजों की आपूर्ति की जाती है.
रिपोर्ट के अनुसार यह भारत और इसके पूर्वोतर राज्यों के साथ-साथ दक्षिण पूर्व एशिया में ASEAN देशों के बीच संपर्क को सुगम बनाकर भारत को अपनी 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है.
दक्षिण-पूर्व एशिया Golden Triangle के लिए कुख्यात है, जिससे जुड़े म्यांमार, थाईलैंड और लाओस में संगठित अपराध और मादक पदार्थों की तस्करी प्रचलित है.


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