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क्यों बढ़ जाती है अंतरिक्ष में लंबाई? स्पेस में पसीना भी करता है परेशान

Gulabi Jagat
21 March 2022 8:10 AM GMT
क्यों बढ़ जाती है अंतरिक्ष में लंबाई? स्पेस में पसीना भी करता है परेशान
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स्पेस में पसीना भी करता है परेशान
विज्ञान (Amazing Science Facts ) ऐसी चीज़ है, जिसने हमारे आस-पास के तमाम ऐसे तथ्यों पर से पर्दा हटाया है, जिन्हें हम जानना चाहते हैं. कुछ ऐसे ही अद्भुत वैज्ञानिक तथ्य (Science Trivia) लेकर हम आपके लिए आए हैं, जो इतने दिलचस्प हैं कि आप जानकर रोमांचित हो जाएंगे. मसलन अंतरिक्ष (Human Height Increases in Space) में पहुंचते ही हमारी लंबाई में थोड़ी ही बढ़ोतरी हो जाती है और हमारे डीएनए (Change in DNA During Space Trip) में भी बदलाव होते हैं.
क्यों बढ़ जाती है अंतरिक्ष में लंबाई?
अंतरिक्ष में जाने पर इंसान गुरुत्वाकर्षण, रेडिएक्शन और सांस से जुड़ी गतिविधियों में भी बदलाव महसूस करता है. स्पेस में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता है, ऐसे में इंसान नीचे की तरफ नहीं खिंचता. यही वजह है कि इंसान की लंबाई में 4 फीसदी तक बढ़ोतरी देखी गई है. हालांकि ज़मीन पर आते ही ये पहले जितनी ही हो जाती है. इतना ही नहीं अंतरिक्ष यात्रियों की जीन में भी 7 फीसदी तक बदलाव महसूस किया जाता है.
स्पेस में पसीना भी करता है परेशान
गुरुत्वाकर्षण नहीं होने की वजह से अंतरिक्ष में पसीना तो आता है, लेकिन वो न तो टपकता है और न ही सूखता है. यानि ये जस का तस बना रहता है. गुरुत्वाकर्षण नहीं होने की वजह से पानी उबलने पर बुलबुले नहीं एक ही बुलबुला बनता है.
8 मिनट में पहुंचती है धरती पर धूप
आपने शायद ही कभी इस बात पर गौर किया हो कि सूरज की रोशनी धरती तक पहुंचने में कितना वक्त लगता है? तो जान लीजिए की सूरज की रोशनी 8 मिनट में धरती तक पहुंच जाती है. जबकि सूरज के सबसे पास मरक्यूरी प्लानेट मौजूद रहता है.
प्लूटो को ग्रह मानना बद करें
जी हां, प्लूटो को भले ही ग्रहों में जोड़ा जाता है, लेकिन इसे अब बौना ग्रह घोषित किया जा चुका है और वीनस अकेला ऐसा ग्रह है, जो क्लॉकवाइज़ यानि सीधी दिशा में घूमता है. इसके अलावा सभी ग्रहों का रोटेशन एंटी क्लॉकवाइज़ यानि उल्टी दिशा में होता है.
एक और वैज्ञानिक तथ्य जानना हम इंसानों के लिए बेहद ज़रूरी है. ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर हम इंसान अपनी सोच बदल लें तो बेहतर है क्योंकि हमारी धरती पहले से ही काफी गर्म है. धरती का सेंटर इतना गर्म है कि इसका तापमान 11 हज़ार डिग्री फारेनहाइट है. ये सूरज की सतह जितना ही गर्म है.
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