थाईलैंड के विवादित राजा महा वाजिरालोंगकोर्न उर्फ राम दशम देश की सात करोड़ जनता को सम्मान देने के लिए प्रेरित नहीं कर पाते हैं। आखिर क्यों, यह एक अहम सवाल है। तो इस सवाल के जवाब में कई कारण गिनाए जा सकते हैं।
इसकी शुरुआत इस बात से की जा सकती है कि उन्हें छोटे-छोटे क्रॉप टॉप, अल्ट्रा लो वेस्ट जीन्स और पूरे शरीर पर नकली टैटू की प्रवृत्ति है।
फिर उनकी उलझी हुई लव लाइफ है, जिसकी वजह से वो अक्सर सुर्खियों में बने रहे हैं। 68 वर्षीय राजा ने चौथी शादी की है और उनकी चौथी पत्नी के साथ ही वह अपनी 'शाही सहयोगी' का भी संग करते हैं। थाईलैंड में शाही सहयोगी राजा की ऐसी साथी की कहते हैं जो उनकी पत्नी न हो। यह पद 1932 में राजतंत्र के साथ ही खत्म कर दिया गया था। लेकिन हाल ही मौजूदा राजा ने इसे फिर से जीवित कर दिया है।
उनके दिवंगत छोटे से कुत्ते फू-फू के साथ उनका विचित्र जुनून था, जिसे वो पंजों में दस्ताने पहनाने के साथ ही, पूरी रॉयल थाई वायु सेना के तमगों के साथ कपड़े पहनाया करते थे और उसे अपने साथ आधिकारिक रात्रिभोज में कुर्सी पर बैठाया करते थे।
राजा महा वाजिरालोंगकोर्न नियमित रूप से इस बात पर जोर देते हैं कि दरबारी अपने घुटनों पर रेंगते हुए उनके पास आएं। जिससे वो नाराज हो जाते हैं उन्हें अपना सिर मुंडवाने का आदेश देते हैं। इतना ही नहीं एक बार तो उन्होंने अपनी एक पत्नी को कुत्ते फू-फू के कटोरे में खाना खिलाया, जब वह अर्द्ध नग्न थी।
अब इस बात पर तो कोई क्या ही कह सकता है कि उन्होंने कम से कम चार बच्चों को बेदखल कर दिया है और उनकी स्कूल फीस देने से इनकार कर दिया, जबकि उनके पास 30 बिलियन पाउंड (करीब 2 अरब 90 करोड़ रुपये) की संपत्ति है।
अंतरराष्ट्रीय हंसी के पात्र बने
इन सभी वजहों ने राजा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हंसी का पात्र बनाया है। उनकी हरकतों की वजह से उन्हें दुनियाभर में दिखावेबाज प्रिंस, धमकाने वाला प्लेबॉय जैसे नामों से भी बुलाया जाता है। लेकिन अनके अपने देश में ऐसा करना संभव नहीं।
क्योंकि थाईलैंड में लेसे-मेजेस्टे (एक राजशाही की गरिमा को ठेस पहुंचाना) के कानून यह सुनिश्चित करते हैं कि शाही परिवार को आलोचना से परे रखा जाए, मजाक उड़ाना तो दूर की बात है।
वहां राजशाही को देवतुल्य दर्जा प्राप्त है। उनकी पूजा और मूर्तिपूजा की जाती है। राजा, रानी, उत्तराधिकारी या राज्य-संरक्षक या यहां तक कि उनके पालतू जानवरों के खिलाफ एक भी शब्द बोलने पर पारंपरिक रूप से 15 साल की जेल हुई है।
अब तक यह होता आया है। थाईलैंड में अशांति बढ़ रही है, क्योंकि वहां कोविड-19 के कारण वहां का महत्वपूर्ण पर्यटन उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो गया है। थाइलैंड के लोग की चिढ़ राजा महा के खिलाफ तेजी से बढ़ी है और वे शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं।
पिछले हफ्ते, पानी सिर से ऊपर चला गया।
स्वदेश लौटे तो ये था नजारा
महा, जिसने इस वर्ष जर्मनी के बवेरिया के एक लक्जरी होटल में अपनी एक बड़ी सुरक्षा घेरे, जिसमें 20 'सैन्य-थीम वाली' शाही सहयोगी शामिल थी, के साथ बहुत अधिक समय बिताया था। जर्मन सरकार ने फैसला किया कि वे यूरोप की लोकतांत्रिक जमीन पर उनकी मेजबानी और नहीं कर सकते।
इसलिए महा अपने व्यक्तिगत बोइंग 737 जहाज में घर के वापस निकल पड़े। थाललैंड पहुंचने पर अब उन्हें थाई शाही परिवार के कई महलों में से एक में रखा गया है, क्योंकि सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं।
उन्होंने चार साल पहले सिंहासन संभाला था, जिसके बाद से महा ने लगातार शक्ति हासिल की है। उन्होंने राज संपत्ति और सभी शाही निधियों का व्यक्तिगत नियंत्रण ले लिया है और सैनिकों की कमान भी सीधे तौर पर संभाल ली है। सरकार की कथित लोकतांत्रिक प्रक्रिया में दखल दे रहे हैं और यहां तक कि थाईलैंड के संविधान में संशोधन कर रहे हैं जो उन्हें विदेश से शासन करने की अनुमति दे।
हाल के वर्षों में, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने थाईलैंड को अपने अमानवीय 'लेसे-मेजेस्टे' कानूनों में संशोधन करने के लिए कहा है, लेकिन उसका कोई असर पड़ता नहीं दिखा। अब इसका विरोध करने वालों को हमेशा के लिए 'गायब' हो जाने का भी डर सता रहा है।
पिछले हफ्ते जब महा आखिरकार स्वदेश लौटे, तो 10,000 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों ने अपने विरोध प्रदर्शनों के जरिए उनका स्वागत किया। प्रदर्शनकारियों ने बैंकॉक में मार्च किया और एक नया संविधान बनाने की मांग की।
देश में लगा आपातकाल
थाईलैंड में 14 अक्तूबर को हुए विशाल जन प्रदर्शनों के बाद थाईलैंड सरकार ने 15 अक्तूबर तड़के देश में आपातकाल लागू कर दिया। टेलीविजन पर पुलिस अधिकारियों ने एक लाइव प्रसारण में कहा कि ये कदम "शांति और व्यवस्था" बनाए रखने के लिए उठाया गया है। इसके तहत प्रदर्शनों पर रोक लगा दी गई है। आंदोलन के प्रमुख नेताओं सहित बहुत से कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है।
ये आंदोलन पिछली फरवरी से चल रहा है। गुजरे अगस्त में आंदोलनकारियों ने प्रधानमंत्री के इस्तीफे और राजशाही पर नियंत्रण लगाने की मांग की थी। ये पहला मौका था, जब सीधे तौर पर राजतंत्र या राज परिवार का सड़कों पर उतरकर जन समुदाय ने विरोध किया हो।
कोरोना महामारी के कहर के बावजूद अगस्त में हफ्ते भर तक जोरदार प्रदर्शन हुए थे। उसी आंदोलन का अगला दौर पिछले कुछ दिनों से राजधानी बैंकाक और थाईलैंड के दूसरे शहरों की सड़कों पर दिख रहा था। इस पर काबू पाने के लिए ही देश में इमरजेंसी लगाई गई है। अब ये देखने की बात होगी कि इससे जन विरोध को कब तक रोका जा सकता है।