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सीमा विवाद को क्यों नहीं सुलझाना चाहता चीन, जाने क्या है ड्रैगन का इरादा?

Neha Dani
10 May 2022 8:11 AM GMT
सीमा विवाद को क्यों नहीं सुलझाना चाहता चीन, जाने क्या है ड्रैगन का इरादा?
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ताकतवर होकर भारत के सामने बात रख सकते हैं और ऐसे में चीन को और बेहतर डील की गुंजाइश दिखती है।

भारतीय सेना के नए चीफ जनरल मनोज पांडे ने कहा है कि हमारा मकसद अप्रैल 2020 से पहले की यथास्थिति बहाल करना है। उन्होंने यह भी कहा है कि सीमा विवाद को सुलझाना पहला मकसद होना चाहिए लेकिन चीन बॉर्डर विवाद को बनाए रखना चाहता है। लेकिन चीन सीमा विवाद को क्यों नहीं सुलझाना चाहता है, आइए समझने की कोशिश करते हैं।

शशि थरूर भारत के विदेश राज्यमंत्री रहे हैं। उनका मानना है कि चीन कई कारणों से बॉर्डर मसले को नहीं सुलझाना चाहता है। चीन भारतीय क्षेत्र पर दावा ठोककर और बॉर्डर क्षेत्र में आगे बढ़ने की कोशिश कर भारत पर हावी होने की कोशिश करता है।
क्या है चीन का इरादा?
थरूर ने कहा है कि 1992 के दौरान भी 18-19 बार सीनियर स्तर पर बॉर्डर को लेकर बातचीत हुई थी लेकिन हम मामले को सुलझाने की ओर एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सके थे। हम बात करके सभी मसलों को सुलझा सकते हैं लेकिन हमें लगता है कि चीन कह रहा है कि इन विवादों को हम भविष्य में सुलझा लेंगे।
उन्होंने कहा है कि चीन को यह कहना पसंद है क्योंकि बीजिंग यह कहना चाहता है कि हम आपकी इकॉनमी से पांच गुना बड़े हैं, हमारी सेना और उसका बजट आप से अधिक है। हम हम एक और पीढ़ी रुके तो हम इतने अमीर और ताकतवर हो जाएंगे कि भारत की दिक्कतें और बढ़ा सकते हैं। यही चीन का इरादा है।
वक्त के साथ भारतीय क्षेत्र पर बढ़ते गए हैं चीन के दावे
कुछ एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि 1962 युद्ध के बाद और उससे कुछ पहले से ही चीन भारत पर हावी होने की कोशिश में जुटा हुआ था। 1962 में अक्साई चिन पर कब्जा करने चीन भारत से अपनी शर्तों पर बातचीत करना चाहता है जो कि भारत को मंजूर नहीं है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अगर आप 1962 और उससे पीछे के सरकारी दस्तावेजों को देखेंगे तो पाएंगे कि अरुणाचल प्रदेश पर चीन ने शुरू से अपना दावा नहीं किया है। चीन ने धीरे-धीरे अरुणाचल पर अपना हक जताना शुरू किया और अब अरुणाचल प्रदेश को अपना अभिन्न अंग बताता है।
कुछ दशक इंतजार करने की तैयारी में है चीन
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन को बॉर्डर मसले सुलझाने में कोई जल्दबाजी नहीं है क्योंकि बीजिंग ने इतिहास से सीखा है कि वक्त के साथ मजबूत होने के बाद आप भारत पर हावी हो रहे हैं। और ऐसा ही चलता रहा है दो-तीन दशक बाद आप और ताकतवर होकर भारत के सामने बात रख सकते हैं और ऐसे में चीन को और बेहतर डील की गुंजाइश दिखती है।


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