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सैटलाइट टीवी में रुकावट पैदा हो सकती है। यहां तक कि सबसे कमजोर सौर तूफान से भी पावर ग्रिड में उतार-चढ़ाव होने की संभावना है।
वॉशिंगटन: सूर्य की सतह पर पैदा हुए सोलर फ्लेयर ने वैज्ञानिकों की चिंता को बढ़ा दिया है। आशंका जताई जा रही है कि इस सोलर फ्लेयर के कारण पृथ्वी भू-चुंबकीय तूफान में फंस सकती है। सोलर फ्लेयर को कोरोनल मास इंजेक्शन (सीएमई) के रूप में भी जाना जाता है। सूर्य की सतह पर प्लाज्मा के शक्तिशाली विस्फोट के कारण कोरोनल मास इंजेक्शन का जन्म होता है। यूएस स्पेस वेदर सेंटर (SWPC) ने इस सौर तूफान को G-1 श्रेणी का बताया है।
सूर्य की सतह पर हुए इस विस्फोट से अरबों टन आवेशित कण पृथ्वी की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं। इस विस्फोट की क्षमता लगभग 20 मिलियन परमाणु विस्फोटों के बल के बराबर है। यूएस स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर (एसडब्ल्यूपीसी) के अनुसार, कुछ फ्लेयर्स 250 किमी से लेकर 3000 किमी प्रति सेकंड की गति तक पहुंच सकते हैं और आकार में बहुत बड़े हो सकते हैं। सोलर एंड हेलिओस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी (SOHO) से कोरोनाग्राफ तस्वीरों के आधार पर इस विस्फोट की पुष्टि की है।
पृथ्वी पर क्यों आते हैं सौर तूफान
सोलर एक्टिविटी के चार मुख्य घटकों में सोलर फ्लेयर्स, कोरोनल मास इजेक्शन, हाई-स्पीड सोलर विंड और सोलर एनर्जी पार्टिकल्स शामिल हैं। इन्हीं के कारण पृथ्वी पर सोलर तूफान आते रहते हैं। नासा के अनुसार, सोलर फ्लेयर्स धरती पर तभी प्रभाव डालती हैं, जब वे सूरज के उस तरफ होती हैं, जिधर हमारी पृथ्वी होती है। इसी तरह, कोरोनल मास इजेक्शन में भी सूर्य से निकले प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के विशाल बादल पृथ्वी पर तभी प्रभाव डालेंगे जब उनकी दिशा हमारी धरती की तरफ हो।
सौर तूफान से क्या होगा नुकसान?
धरती से सौर तूफान टकराने के कारण बाहरी वायुमंडल में सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिल सकता है। इसका सीधा असर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे सैटेलाइट्स पर पड़ सकता है। वैज्ञानिकों ने अनुसार, जीपीएस नैविगेशन, मोबाइल फोन सिग्नल और सैटलाइट टीवी में रुकावट पैदा हो सकती है। यहां तक कि सबसे कमजोर सौर तूफान से भी पावर ग्रिड में उतार-चढ़ाव होने की संभावना है।
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