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बोरिस जॉनसन ने क्यों कही ये बात, COP26 फेल हुआ तो सारी कोशिशें भी हो जाएंगी बेकार

Renuka Sahu
1 Nov 2021 5:27 AM GMT
बोरिस जॉनसन ने क्यों कही ये बात, COP26 फेल हुआ तो सारी कोशिशें भी हो जाएंगी बेकार
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फाइल फोटो 

संयुक्त राष्ट्र की क्लाइमेट चेंज पर होने वाली समिट (COP26) शुरू होने के पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एक बड़ी चेतावनी दी है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की क्लाइमेट चेंज (Climate Change) पर होने वाली समिट (COP26) शुरू होने के पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (British PM Boris Johnson) ने एक बड़ी चेतावनी दी है. G20 सम्मेलन की समाप्ति के ठीक बाद जॉनसन ने कहा- 'अगर ग्लास्गो में होने वाली समिट नाकाम हो जाती है, तो पूरी कोशिशें ही नाकाम हो जाएगी. इसका सीधा सा मतलब यह हुआ ग्लास्गो में पेरिस समझौते से आगे की बात होगी. अगर इस पर सहमति नहीं बनती तो दुनिया के सामने क्लाइमेट चेंज को लेकर नए चैलेंज सामने आएंगे.

स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में आज से COP26 समिट शुरू हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी भी इसमें हिस्सा ले रहे हैं। सवाल यह है कि क्या तमाम बड़े नेता जॉनसन की इस टिप्पणी को गंभीरता से लेते हुए किसी ठोस नतीजे पर पहुंचेंगे. COP26 के पहले जी-20 देशों की मीटिंग हुई. वर्ल्ड इकोनॉमिक पावर इंजिन कहे जाने वाली इस समिट में भी क्लाइटमेट चेंज को लेकर चिंताएं देखी गईं. शायद यही वजह है कि जॉनसन ने COP26 से पहले ही अपनी फिक्र जाहिर कर दी. इस समिट में ही यह तय हो गया कि ग्लोबल वॉर्मिंग का लेवल 1.5 डिग्री सेल्सियस कम किया जाए.
क्या है पेरिस समझौता?
जलवायु परिवर्तन पर 2015 में पेरिस समझौता हुआ था. इसका एक ही मकसद था कि कार्बन उत्सर्जन कम करके दुनिया को ग्लोबल वॉर्मिंग से बचाया जाए. इसमें तय हुआ था कि सभी देश मिलकर सख्त कदम उठाएं. 1.5 डिग्री सेल्सियस नहीं तो कम से कम 2 डिग्री सेल्सियस तो तापमान कम करने का टारगेट हासिल किया जाए. बदकिस्मती से यह समझौता कागज पर जितना कारगर दिखता है, हकीकत में देश इसे लागू करने में नाकाम रहे. सब अपनी-अपनी मजबूरियां गिनाते रहे, लेकिन विश्व पर्यावरण की चिंता किसी ने नहीं की.
UK ने 2050 तक रखा नेट जीरो एमिशन का लक्ष्य
बोरिस जॉनसन वादा कर चुके हैं कि उनकी सरकार 2050 तक नेट जीरो एमिशन का लक्ष्य हासिल कर लेगी. यानी ब्रिटेन से कार्बन उत्सर्जन नहीं के बराबर होगा. अमेरिका, सऊदी अरब और रूस भी यही वादा कर रहे हैं. जी-20 देश कह रहे हैं कि वो कोयले पर निर्भरता कम करेंगे. ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने ये भी वादा किया था कि वो अपने सहयोगी नेताओं से इस बात की अपील करेंगे कि जलवायु परिवर्तन पर किए गए तमाम वादे, वक्त रहते पूरे किए जाएं.


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