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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ओईसीडी की वैश्विक न्यूनतम कर योजना से कर व्यवस्था में अधिक न्याय की उम्मीद की जा रही है. लेकिन आधे से भी कम अफ्रीकी देश ऐसे हैं जो इसमें शामिल हैं. गरीब देशों को यह व्यवस्था कितना फायदा पहुंचाएगी, इस पर बहस जारी है.केन्या और नाइजीरिया उस वैश्विक कर सुधार योजना से पीछे हट गए हैं जो बहुराष्ट्रीय निगमों को आसानी से अपने मुनाफे को करों की कम दर वाले देशों में ट्रांसफर करने से रोकती है.कई क्षेत्रीय आर्थिक शक्तियां आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के नेतृत्व में शुरू की गई इस परियोजना में भाग लेने का मन बना रहे हैं. इसके तहत उन देशों को भी मुनाफे के राजस्व का कुछ हिस्सा देने की योजना है जहां से ये लाभ कमाया गया है. ये योजना को वैश्विक अर्थव्यवस्था में बढ़ते डिजिटलीकरण को देखते हुए पेश की गई है. लेकिन दुनिया भर के 136 देशों में से केवल 23 अफ्रीकी देश ही इस सुधार परियोजना में हिस्सा ले रहे हैं. इन देशों में दक्षिण अफ्रीका, सेनेगल और मिस्र शामिल हैं. इसका मतलब है कि अफ्रीका के आधे से भी कम देश इसमें शामिल हैं और जैसे-जैसे परियोजना के विवरण को अंतिम रूप दिया जा रहा है, अफ्रीकी देशों के लिए एक सस्ता विकल्प खोजने की कोशिशें तेज हो रही हैं. 'अमीरों के लिए सौदा' यूरोपियन नेटवर्क ऑन डेट एंड डेवेलपमेंट (यूरोडैड) की टॉव राइडिंग कई साल से ओईसीडी के कर सुधारों पर काम कर रहे हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहती हैं, "इस सौदे को अमीरों का सौदा कहे जाने के पीछे वजहें हैं.