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क्यों जर्मनी में बड़े पैमाने पर लोग छोड़ना चाह रहे हैं चर्च

Rani Sahu
16 July 2021 7:50 AM GMT
क्यों जर्मनी में बड़े पैमाने पर लोग छोड़ना चाह रहे हैं चर्च
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जर्मनी (Germany) ने पिछले साल 4 लाख से ज्यादा ईसाइयों (Christians) ने चर्च छोड़ा था

जर्मनी (Germany) ने पिछले साल 4 लाख से ज्यादा ईसाइयों (Christians) ने चर्च छोड़ा था और इस अब अब तक करीब दो लाख से ज्यादा लोग कैथोलिक चर्च छोड़ चुके हैं. यह संख्या कम हुई है लेकिन पिछले कई दशकों से चर्च छोड़ने वालों की संख्या में इस कदर इजाफा चिंता का विषय बना हुआ है. लोग इसे एक तरह की मुक्ति (Liberation) के तौर पर देख रहे हैं तो वहीं चर्च नेतृत्व इस बात से बहुत चिंचित है. लेकिन लोगों के इतनी बड़ी संख्या में चर्च छोड़ने के लिए कई बातें जिम्मेदार हैं जिसमें चर्चा का यौन शोषण के मामले में उदासीन रवैया, चर्च के टैक्स से छुटकारा जैसी कई चीजें शामिल हैं.

एक प्रक्रिया से गुजरना होता है
जर्मनी में चर्च से मुक्त होना कोई आसान काम नहीं हैं. जर्मनी में चर्च छोड़ने के लिए बहुत खास दिशानिर्देश हैं. जो लोग चर्च छोड़ना चाहते हैं उन्होंने जिला न्यायालय में रजिस्ट्रेशन करवाना होता है जो इलाके के पादरी को इसकी रिपोर्ट देता है. जर्मनी में चर्च के सभी सदस्यों को चर्च टैक्स देना होता है जो स्थानीय कर अधिकारियों द्वारा उनके वेतन से काटा जाता है. जब कोई चर्च छोड़ता है तो उसे टैक्स नहीं देना होता है.
सुधार की जरूरत
जब हर साल चर्च छोड़ने वालों की संख्या प्रकाशित होती है तो चर्च अधिकारी यह जानने का प्रयास करते हैं कि लोग ऐसे क्यों कर रहे हैं. डीडब्ल्यू की रिपोर्ट में जर्मन बिशप कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन जॉर्ड बैटजिंग ने इस साल के आकड़ों के प्रस्तुतिकरण के दौरान कहा कि बहुत से लोगों ने चर्च में अपना विश्वास खो दिया है और यह संकेत देना चाहते हैं कि सुधार की जरूरत है.
क्या करना चाहिए
बैटजिंग का मानना है कि चर्च को इस आलोचना का खुले मन से सामना करना चाहिए. वहीं काउंसिल ऑफ प्रोटेस्टेंट चर्च के चेयरमैन बिशप हेनरिच बेडफोर्ड स्ट्रॉम इस बात पर जोर दे रहे हैं कि हर एक मामला चर्च को यह सोचने पर मजबूर करना चाहिए कि ऐसा क्या किया जाए जिससे चर्च छोड़ने वाले सदस्य को मनाया जा सके कि चर्च में रहना समझदारी है.
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क्या यौन शोषण दूर कर रहा है लोगों को
बहुत से लोगों का कहना है कि चर्च ने जिस तरह यौन शोषण को मामलों को निपटाया है, वही लोगों को उनसे दूर कर रहा है. चर्च के नेतृत्व से ऐसा बिलकुल नहीं लगा कि वे जिम्मेदारी लेना चाहते हैं या किसी नतीजे पर पहुंच कर किसी तरह का बदलाव करना चाहते हैं. सत्ताधीशों की सुधार में रुचि नहीं हैं और वे लिंग समानता नहीं देखना चाहते हैं.
लोगों का उठता विश्वास
चर्च छोड़ने वालों को यह भी लगता है कि चर्च का वर्तमान स्वरूप पुराना और बेकार हो गया है. चर्च खुद को नैतिक प्राधिकरण के तौर पर बेचता है, लेकिन वह खुद के ही मानकों और मूल्यों को नहीं जीता है. जर्मनी में 27 धर्मप्रदेश हैं कई धर्मप्रदेशों को विशाल संख्या में लोगों ने चर्च छोड़ा है म्यूनिख के साथ फ्रेइबर्ग और बर्लिन में भी यही हाल है.
ऐसा नहीं है कि लोगों का धर्म पर से विश्वास उठ गया है या लोग धार्मिक होने पसंद नहीं कर रहे हैं. लेकिन लोग चर्च के अधिकारियों के रवैये से दुखी हैं. चर्च ने समय के साथ भी बदलाव नहीं किए कईलोगों को मानना है चर्च सामाजिक विविधता का सम्मान नहीं कर पाता है. इसमें समलैंगिंकता भी शामिल है. चर्च छोड़ने वालों की वेटिंग लिस्ट लंबी होती जा रही है. ऐसा कैथोलिक और प्रोस्टेंट दोनों चर्च में हो रहा है. बहुत से लोग ऐसे भी हैं एक चर्च को छोड़ कर दूसरे चर्च से जुड़ रहे हैं. लेकिन पुराने कैथोलिक चर्च को छोड़ने वाले ज्यादा हैं.


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