दुनिया के 60 से अधिक देशों में मंकीपॉक्स वायरस पांव पसार चुका है. अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बीमारी को लेकर बड़ा ऐलान किया है. WHO ने कहा कि है कि मंकीपॉक्स का जोखिम विश्व स्तर पर देखने को मिल रहा है. यूरोपीय देशों में इस घातक वायरस का जोखिम सबसे ज्यादा है. मौजूदा हालात देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि आगे इसके अंतरराष्ट्रीय प्रसार का एक स्पष्ट जोखिम है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय यातायात में हस्तक्षेप का जोखिम फिलहाल कम है. तमाम जोखिमों को देखते हुए WHO ने मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है.
वैश्विक प्रयासों की जरूरत
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्येयियस ने शनिवार को कहा कि तेजी से फैल रहा मंकीपॉक्स का प्रकोप वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल को दर्शाता है. वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल विश्व स्वास्थ्य संगठन का उच्चतम स्तर का अलर्ट है. ट्रेडोस ने कहा कि मंकीपॉक्स को लेकर अब अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया की जरूरत है. इसके साथ ही वैक्सीन और इस इलाज साझा करने में सहयोग करने के लिए धन और वैश्विक प्रयासों की जरूरत है.
मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले
जिनेवा में एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने के अपने फैसले की घोषणा करते हुए, टेड्रोस ने पुष्टि की कि समिति आम सहमति तक पहुंचने में विफल रही है. इस साल अब तक 60 से अधिक देशों में मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और अफ्रीका में इस बीमारी की चपेट में आए 5 लोगों की मौत भी हो चुकी है.
मंकीपॉक्स को गंभीरता से लेना जरूरी
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहे मंकीपॉक्स के प्रकोप को सही समूहों में सही रणनीति से रोका जा सकता है. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वे इस बीमारी को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर रहे हैं क्योंकि क्योंकि यह जरूरी है कि सभी देश मंकीपॉक्स से निपटने के लिए प्रभावी जानकारी और सेवाएं तैयार करने और वितरित करने के लिए मिलकर काम करें.
अब तक कोई ठोस उपचार नहीं
मंकीपॉक्स के लिए वर्तमान में कोई विशिष्ट उपचार नहीं है. मरीजों को आमतौर पर एक विशेष अस्पताल में रहने की आवश्यकता होगी ताकि संक्रमण न फैले और सामान्य लक्षणों का इलाज किया जा सके.