विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि मंकीपॉक्स के वायरस का स्वरूप संक्रमण वाले मूल देशों और अन्य देशों में समान पाया गया है। यानी उसमें म्यूटेशन या बदलाव नहीं हुआ है। संगठन ने गैर प्रसार वाले देशों को बचाव के लिए तत्काल कदम उठाने की हिदायत दी है।
डब्ल्यूएचओ में वैश्विक संक्रमण खतरों से निपटने के लिए बनाए गए कार्यदल की निदेशक सिल्वी ब्रायंड ने कहा, हमारे पास मंकीपॉक्स को फैलने से रोकने का अवसर है। अगर हम सही जगहों पर सही उपाय करें तो इसे स्थानीय स्तर पर ही नियंत्रित कर सकते हैं। उन्होंने कहा, इस बीमारी का प्रसार कोरोना जैसे वायरसों के मुकाबले काफी कम है।
लिहाजा, अभी व्यापक स्तर पर टीके लगाने की जरूरत नहीं है लेकिन संक्रमण वाली जगहों पर टीकाकरण किया जाना चाहिए। डब्ल्यूएचओ में चेचक सचिवालय के प्रमुख रोजमंड लेविस ने कहा कि संक्रमितों की जांच, उनके संपर्कों की निगरानी और होम आइसोलेशन जैसे उपाय इस बीमारी में भी सर्वाधिक प्रभावी होंगे।
मंकीपॉक्स मूल रूप से अफ्रीकी देशों में होते रहे इस संक्रमण के यूरोप व अमेरिका जैसे गैर प्रसार देशों में इसके फैलने पर चिंता जाहिर की जा रही थी। दुनिया में अब तक इसके 200 से ज्यादा मामले मिल चुके हैं।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा है कि भारत इस बीमारी से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। हालांकि, देश में अभी तक कोई भी मामला सामने नहीं आया है। आईसीएमआर की वैज्ञानिक डॉ अपर्णा मुखर्जी ने कहा, हमारी तैयारियां पूरी हैं। आईसीएमआर की ओर से इससे बचने के दिशानिर्देश जारी किए जा चुके हैं। उन्होंने मंकीपॉक्स प्रभावित देशों से आए लोगों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी।