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भारतीय वायुसेना को बड़े पैमाने पर क्षमताएं बढ़ानी होंगी।
पाकिस्तान और अमेरिका के बीच वर्ष 2016 F-16 फाइटर जेट पर सौदा हुआ था। दोनों देशों के बीच यह रक्षा डील भारत के सामरिक हितों के लिए खतरनाक थी। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस रक्षा डील को हरी झंडी दी थी। ओबामा प्रशासन ने पाकिस्तान को लगभग 70 करोड़ डालर कीमत के आठ F-16 लड़ाकू विमान बेचने का फैसला किया था। उस वक्त भारत ने अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा को तलब कर पाकिस्तान को F-16 लड़ाकू विमान बेचने के ओबामा प्रशासन के निर्णय पर अपनी नाखुशी और निराशा जाहिर की। आखिर भारत को F-16 पर क्यों आपत्ति थी। F-16 की कौन सी खूबियां भारत को बेचैन कर रही थी। क्या भारतीय वायु सेना में फ्रांस का राफेल फाइटर जेट शामिल होने के बाद देश की चिंता कम हुई है। दोनों की क्या खूबियां हैं। इस पर विषेशज्ञों की क्या राय है।
1- रक्षा मामलों के जानकार डा अभिषेक प्रताप सिंह का कहना है, जब पाकिस्तान और अमेरिका के बीच एफ-16 को लेकर सौदा हुआ था उस वक्त भारतीय वायु सेना के पास उसका कोई विकल्प नहीं था। इसलिए भारत की चिंता लाजमी है। हालांकि, उन्होंने कहा कि अब तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है। वर्ष 2020 में फ्रांस और भारत के बीच राफेल को लेकर सौदा हुआ। राफेल भारतीय वायु सेना का हिस्सा बना। एफ-16 को टक्कर देने के लिए राफेल पर्याप्त है।
2- अभिषेक प्रताप सिंह का कहना है कि राफेल में ऐसा रडार सिस्टम दिया है, जो अमेरिकी फाइटर जेट एफ-16 में भी नहीं है। एफ-16 का रडार सिस्टम 84 किमी के दायरे में 20 लक्ष्यों को चिन्हित कर सकता है। राफेल का रडार सिस्टम 100 किमी के दायरे में एक बार में एक साथ 40 टारगेट डिटेक्ट कर सकता है। राफेल बहुत दूर से दुश्मन के लड़ाकू विमानों को डिटेक्ट कर सकता है। इसकी ज्यादा रेंज काम्बैट मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसका फायदा यह है कि आप दुश्मन के विमान में डिटेक्ट हुए बिना ही उन्हें देख सकते हैं।
3- एफ-16 में लगने वाली मिसाइलों की रेंज अधिकतम 100 किमी है। राफेल का मिसाइल सिस्टम इससे कहीं एडवांस है। राफेल में खास बात यह है कि यह ज्यादा रेंज वाले हथियारों को भी ले जा सकता है। राफेल ऐसी मिसाइलों के साथ उड़ान भरने में सक्षम है जो 150 किमी से ज्यादा दूरी पर भी हवा में मूव कर रहे टारगेट पर बेहद सटीक निशाना लगाने में सक्षम हैं। यह छोटे मानव रहित विमानों के साथ-साथ क्रूज मिसाइलों को भी निशाना बना सकती हैं। इसी तरह राफेल विमान स्कैल्प मिसाइलों को भी ले जा सकता है। ये मिसाइलें करीब 300 किलोमीटर दूर जमीन पर स्थित किसी भी टारगेट को नष्ट कर सकती हैं। राफेल लड़ाकू विमान में लंबी रेंज वाली मिसाइलें उसे दुश्मन के हमले से तो सुरक्षित रखती ही हैं, साथ ही मिशन को सफलता दिलाने में भी इनका बड़ा रोल होता है।
4- रक्षा विशेषज्ञ का कहना है कि पाकिस्तानी वायु सेना के सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान एफ-16 के मुकाबले राफेल में किसी भी सुरक्षित एयरस्पेस को भेदने की क्षमता ज्यादा है। हालांकि चीन के J- 20ए विमान राफेल के लिए चुनौती होंगे, क्योंकि आने वाले सालों में वह बड़ी संख्या में इन विमानों को वायुसेना में शामिल करेगा। पाकिस्तान को भी चीन से ये विमान मिल सकते हैं, ऐसे में इन्हें काउंटर करने के लिए राफेल के साथ-साथ भारतीय वायुसेना को बड़े पैमाने पर क्षमताएं बढ़ानी होंगी।
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