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कहां होना चाहिए प्लैनेटन-9? 5 साल के शोध के बाद दो खगोलविदों ने बताया

Gulabi
2 Sep 2021 4:52 PM GMT
कहां होना चाहिए प्लैनेटन-9? 5 साल के शोध के बाद दो खगोलविदों ने बताया
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वैज्ञानिकों ने हमारे सौरमंडल के केवल आठ पिंडों को ही ग्रह की मान्यता दी है

वैज्ञानिकों ने हमारे सौरमंडल के केवल आठ पिंडों को ही ग्रह की मान्यता दी है. लेकिन हमारे खगोलविद लंबे समय से नौवें ग्रह की तलाश में जुटे हुए हैं. माना जाता है कि यह ग्रह हमारे सौरमंडल के नेप्च्यून ग्रह से आगे मौजूद है. प्लैनेट नाइन (Planet Nine) कहे जाने वाले इस नौवें ग्रह के होने पुष्टि अभी हुई ही नहीं हैं फिर भी इस ग्रह के बारे में कई सिद्धांत पेश किए जा चुके हैं. हाल ही में दो अमेरिकी खगोलविदों ने अपने पांच साल के शोध के बाद दावा किया है कि उन्होंने पता लगा लिया है कि नौवां ग्रह देखने के लिए आकाश में कहां अवलोकन किया जाना चाहिए.

कहां होना चाहिए, इसका संभावित नक्शा
कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के खगोलविदों ने नौवें ग्रह की कक्षा का एक प्रायिकता वितरण फलन (Probability Distribution Function) आरेखित किया है. इस ग्रह के बारे में कहा जाता है कि उसका वजन पृथ्वी से छह गुना अधिक होना चाहिए. कैलटेक के माइक ब्राउन और कोन्सटैन्टाइन बैटीजिन पिछले पांच साल से इस ग्रह की खोज पर काम कर रहे हैं.
बहुत ज्यादा दूर होगा यह ग्रह
इस तरह के ग्रह की खोज करना हमारे खगोलविदों और वैज्ञानिकों के लिए बहुत मुश्किल है क्योंकि यह सूर्य से कम से कम 'सूर्य-पृथ्वी की दूरी' से 300 गुना ज्यादा दूर स्थित होना चाहिए. शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके प्रस्ताव के पांच साल बाद वे अब जानते हैं कि नौवें ग्रह की खोज के लिए आकाश में कहां अवलोकन करना चाहिए.
पहले नहीं दे सके थे ज्यादा जानकारी
दोनों खगोलविदों का कहना है कि इस रहस्मयी ग्रह के बारे में सामान्य अवधारणा होने के बाद भी वे पूरा आंकलन नहीं दे सके थे कि अंतरिक्ष में इस ग्रह के स्थिति, इसके वजन, और उसकी चमक को लेकर कितनी ज्यादा अनिश्चितता है. ब्राउन ने खगोलविदों को समर्पित ब्लॉग में लिखा कि अब वे यह सब बता सकते हैं.
एक लाख पिंडों की वह डिस्क
बाहरी सौरमंडल में नेप्च्यून की कक्षा के बाहर एक तारों के बाहर पाई जाने डिस्क जैसे तश्तरी मौजूद है जिसमें प्लूटो भी पाया जाता है जिससे कुछ साल पहले ग्रह का दर्जा छीन लिया गया था. माना जाता है कि इस में 100 किलोमीटर के आकार के एक लाख से ज्यादा पिंड हैं. क्षुद्रग्रह की पट्टी की तरह यह डिस्क काइपर घेरा कहलाता है.
पिंडों की असामान्य कक्षा
वैज्ञानिकों का मानना है कि काइपर घेरे के सुदूर पिंडों की कक्षा बहुत ही अनियमित और असामान्य हैं क्योंकि उन सभी की कक्षाएं एक ही दिशा की ओर इशारा कर रही हैं. इसका मतलब यह है कि कोई गुरुत्वाकर्ण बल उनकी कक्षाओं को प्रभावित कर रहा है. दोनों खगोलविदों ने यह प्रस्ताव दिया था कि इस असामान्य कक्षाओं के पीछे प्लैनेट नाइन का प्रभाव है.
कुछ दूसरे वैज्ञानिक इस प्रस्ताव पर यह कहते हुए सवाल उठाते हैं कि यह अनियमित या असामान्य बर्ताव पक्षपात पूर्ण अवलोकन की वजह से हो सकते हैं. यह नया शोध 22 अगस्त को अर्थ एंड प्लैनेटरी एस्ट्रोफिजिक्स में प्रकाशित हुआ है. इसमें इस ग्रह की संभावित कक्षाओं के नक्शे की जानकारी के साथ इस ग्रह के गुणों की भी जानकारी दी है.
सूर्य जैसे चौथाई तारे अपने ही ग्रहों के निगल जाते हैं, जानिए क्यों
काइपर घेरे को साल 1989 में नासा के वायजर अभियान में खोजा गया. तभी पता चला कि प्लूटो वास्तव में ग्रह नहीं है. और इसे बौना ग्रह की श्रेणी में रख दिया गया. लेकिन इससे हुए नई खोजों से यह संकेत मिले कि काइपर घेरे के बाहर एक ग्रह या दूसरा खगोलीय पिंड हैं. 2016 में अपने अवलोकनों के आधार पर दो ब्राउन और बैटिजिन ने दावा किया था कि नौवां ग्रह पृथ्वी से दस गुना भारी होना चाहिए जो काइपर बैलेट में बौने ग्रहों के गुरुत्व खिंचाव के लिए जिम्मेदार हैं.
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