कोरोना महामारी के दौर में घर से काम करने और काम के घंटों में बदलाव आने के बाद लोगों को कई नए अनुभव हुए, ऐसे में पैनासॉनिक का "फोर डे वीक" का फैसला बाकी देशों और कंपनियों के लिए नजीर बन सकता है.जापान की दिग्गज इलेक्ट्रॉनिक कंपनी पैनासॉनिक अप्रैल से अपने कर्मचारियों को सप्ताह में चार दिन काम करने का विकल्प देने जा रही है. सप्ताह में चार दिन काम करने को 'फोर वर्किंग डेज' या 'फोर डे वीक' के तौर पर जाना जाता है. दुनिया के कई देश और कंपनियां इसमें दिलचस्पी ले रही हैं, जिनमें भारत भी शामिल है. जापान में कॉरपोरेट नौकरियों में जी-तोड़ मेहनत करने की संस्कृति चली आ रही है. यहां ज्यादातर कर्मचारी काम के बोझ तले दबे रहते हैं. वर्क-लाइफ बैलेंस तो जैसे कोई विलासिता हो. वैसे चीन और भारत के हालात भी बहुत अलग नहीं हैं, लेकिन जापान की हालत तो सरकार का सर्वे ही बता देता है. 2020 में इस सर्वे में पता चला कि देश में सिर्फ 8 फीसदी कंपनियां ही हैं, जो हफ्ते में दो या दो से ज्यादा पक्की छुट्टियां दे रही हैं. ऐसे में पैनासॉनिक और जापान की बड़ी फार्मा कंपनी शियानोगी जैसी कंपनियों का हफ्ते में चार दिन काम करने का विकल्प देना ही अपने-आप में क्रांतिकारी है. पर यह क्रांतिकारी व्यवस्था और कहां-कहां चल रही है? हमारे देश में कब तक आएगी? इसके क्या फायदे-नुकसान हैं. आइए, एक-एक करके जानते हैं. क्या है 'फोर वर्किंग डेज' सिस्टम? सालों साल चली बहुत सारी माथापच्ची, बहुत सारे विकास, बहुत सारे आंदोलन, क्रांतियों और बहुत सारी व्यवस्थाएं बनाने के बाद इंसान इस नतीजे पर पहुंचे कि हमें सप्ताह में 48 घंटे काम करना चाहिए. फिर इन 48 घंटों को 6 दिनों में बांट दिया गया. यानी सोमवार से शनिवार तक रोज 8 घंटे काम करिए. फिर संडे को आराम फरमाइए. हालांकि, आज भी दुनिया की एक बड़ी आबादी को इसकी सहूलियत नहीं है. कुछ वक्त बात महसूस हुआ कि हफ्ते में सिर्फ एक छुट्टी से काम नहीं चल रहा है. पूरा दिन कपड़े धोने, सब्जी खरीदने और बचे काम निपटाने में निकल जाता है. अपने लिए समय ही नहीं मिलता. एक और दिन छुट्टी की जरूरत है. तो रोजाना काम का वक्त थोड़ा बढ़ा दिया गया. अब सोमवार से शुक्रवार तक नौ-साढ़े नौ घंटे काम करिए. फिर दो दिन आराम करिए. अब आज जरूरत महसूस हो रही है कि दो दिन भी नाकाफी हैं.