हाल ही में ब्रिटेन की महारानी एलीजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद जहां किंग चार्ल्स ने उनकी जगह ली है. इस दौरान भारत में उस कोहिनूर हीरे को वापस लाने की चर्चा होने लगी है जिसे ब्रिटिश सरकार के दौरान भारत से ब्रिटेन ले जाकर वहां के महाराज के ताज में लगा दिया गया था. अब यह पूछा जाने लगा है कि आखिर यह कोहिनूर हीरा कब भारत आएगा. इसको लेकर केंद्र सरकार ने जवाब दिया है.
इस मामले में भारत सरकार ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि वे इस मुद्दे पर लगातार ब्रिटेन सरकार के संपर्क में रहे हैं और बेशकीमती हीरों की भारत वापसी पर चर्चा करते रहे हैं. विदेश मंत्रालय के बयान यह संकेत दे रहे हैं वह यूनाइटेड किंगडम से दुनिया के सबसे बड़े हीरों में से एक कोहिनूर को वापस लाने के तरीकों का पता लगाना जारी रखेगा जिससे भारत को उसकी कीमती धरोहर वापस मिल सके.
दरअसल, पीटीआई ने बताया है कि कोहिनूर को वापस लाने के मुद्दे पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने सरकार के उस बयान का जिक्र किया है जो कि कुछ वर्ष पहले संसद में दिया गया था. उन्होंने कहा, "भारत सरकार ने कुछ साल पहले संसद में इसका जवाब दिया था. हम इस मामले को समय-समय पर यूके सरकार के साथ उठाते रहे हैं और हम मामले का संतोषजनक समाधान निकालने के तरीके तलाशते रहेंगे."
आपको बता दें कि 108 कैरेट का कोहिनूर रत्न महारानी विक्टोरिया को 1849 में महाराजा दलीप सिंह द्वारा दिया गया था. इसे महारानी ने 1937 में पहली बार अपने मुकुट पर पहना था. कोहिनूर को लेकर सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि साल 1950 में भारत की ओर से इसे क्वीन विक्टोरिया को सौंपा गया था जो अब शाही क्राउन में जड़ा हुआ है. क्राउन को टावर ऑफ लंदन में रखा गया है