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जब सीके अनिल और रत्न संजय ने डॉन ऑफ AK-47 को दबोच लिया, जानें मामला
Deepa Sahu
1 May 2021 9:00 AM GMT
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क: पटना । आरजेडी के दिग्गज नेता और पूर्व बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन का दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया। बताया जा रहा कि तिहाड़ जेल में कोरोना संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां शनिवार को आखिरी सांस ली। तिहाड़ जेल के डीजी ने उनके निधन की पुष्टि की है। दो सगे भाइयों की तेजाब से नहालकर हत्या के मामले में शहाबुद्दीन जेल की सलाखों के पीछे अपनी करतूतों की सजा काट रहा था। हालांकि, सिवान के इस तेजाब कांड के बाद कोई भी पुलिसकर्मी शहाबुद्दीन को पकड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इस बाहुबली को किस अधिकारी ने काबू करने की हिम्मत जुटाई होगी।
शहाबुद्दीन पर कार्रवाई से पहले दोनों अधिकारियों ने की प्लानिंग
इसका श्रेय जाता है उस समय सिवान के तत्कालीन डीएम सीके अनिल और एसपी एस रत्न संजय कटियार को, जिन्होंने ठान लिया कि वह शहाबुद्दीन के खौफ को खत्म कर देंगे। दरअसल, 16 अगस्त 2004 को रंगदारी के लिए व्यवसायी चंद्रेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के दो बेटों राजीव और सतीश की तेजाब से नहालकर हत्या कर दी गई थी। उस वक्त बिहार में आरजेडी की सरकार थी और शहाबुद्दीन आरजेडी के बाहुबली नेता थे। ऐसे में उस पर कार्रवाई को लेकर दोनों अफसरों सीके अनिल और एस रत्न संजय कटियार ने मिलकर पूरी प्लानिंग की।
भारी पुलिस बल के साथ शहाबुद्दीन के घर की हुई घेराबंदी
बताया जा रहा कि इन्हीं दो जांबाज अधिकारियों ने भारी पुलिस बल के साथ शहाबुद्दीन के प्रतापपुर स्थित घर की घेराबंदी की थी। शहाबुद्दीन के समर्थक भी पहले से ही तैयार बैठे थे। उन्होंने पुलिस बल पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। हालांकि पुलिस टीम भी जवाबी कार्रवाई के लिए पूरी तैयारी के साथ गई थी और जबरदस्त तरीके से पलटवार किया। पुलिस का दावा है कि गोलीबारी थमने के बाद पुलिस जब शहाबुद्दीन के प्रतापपुर वाले घर के अंदर दाखिल हुई तो उसके होश उड़ गए। शहाबुद्दीन के घर में भारी मात्रा में पाकिस्तानी हथियार बरामद हुए थे।
घर से मिली एके-47 राइफल
शहाबुद्दीन के घर से पाकिस्तानी आर्डिनेंस कंपनी की मुहर लगी एके-47 राइफल भी बरामद हुई थी। कई ऐसे हथियार मिले जिसे केवल पाकिस्तानी सेना प्रयोग करती है। छापेमारी में इस बाहुबली नेता के घर से बहुमूल्य जेवरात और नकदी के अलावा जंगली जानवर जैसे शेर और हिरण की खाल भी बरामद हुई थी। इस कार्रवाई के बाद शहाबुद्दीन के किले में सेंध लगी थी।
शहाबुद्दीन के गुर्गों ने 3 पुलिस वालों की कर दी थी हत्या
इससे पहले साल 2001 में भी बिहार पुलिस शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करने उनके प्रतापपुर वाले आवास पर छापेमारी करने पहुंची थी। इस दौरान शहाबुद्दीन के गुर्गों और पुलिस के बीच करीब 3 घंटे फायरिंग चली थी। इस दौरान 3 पुलिसकर्मी मारे गए थे। 2001 में ही पुलिस जब आरजेडी के स्थानीय अध्यक्ष मनोज कुमार पप्पू के खिलाफ एक वारंट लेकर पहुंची थी तो शहाबुद्दीन ने गिरफ्तारी करने आए पुलिस अधिकारी संजीव कुमार को थप्पड़ मार दिया था। शहाबुद्दीन के सहयोगियों ने पुलिस वालों की जमकर पिटाई कर दी थी। इसके बाद पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा था।
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