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जब अमेरिका ने चीनी दूतावास पर गिराए थे बम, जानें पूरी बात
jantaserishta.com
16 Oct 2021 12:16 PM GMT
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बेलग्रेड: तारीख- 7 मई 1999, जगह- सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड। रात को 12 बजे अचानक आसमान में लड़ाकू विमानों की आवाज गूंजने लगी। चंद सेकेंड के बाद बेलग्रेड में धमाकों की आवाजों ने लोगों को नींद से जगा दिया। लड़ाकू विमान आसमान से अपना निशाना न ढूंढ पाएं, इसलिए शहर की बिजली काट दी गई। दुनिया का सबसे ताकतवर सैन्य संगठन नाटो (NATO) देशों के लड़ाकू विमान अप्रैल से ही बेलग्रेड समेत आसपास के इलाकों में बमबारी कर रहे थे।
क्या था इस बमबारी का मकसद?
नाटो के इस बमबारी का मकसद कोसोवो में अल्बानियाई मूल के लोगों के खिलाफ राष्ट्रपति स्लोबोदान मिलोसेविच के हमलों को रोकना था। मई का पहला हफ्ता खत्म होते ही सर्बिया पर अमेरिकी लड़ाकू विमानों के हमले भी तेज होने लगे थे। जैसे ही कोई लड़ाकू विमान बेलग्रेड के ऊपर बम गिराने आता था, वैसे ही सायरन बजाकर लोगों को चेतावनी दी जाती थी। लोग भी खुद को और अपने परिवारों को बचाने के लिए मजबूत शेल्टर्स में छिप जाते थे। संयुक्त राष्ट्र, रूस और चीन अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो की इस बमबारी के सख्त खिलाफ थे।
बेलग्रेड में चीनी दूतावास की किस्मत 7 मई की रात शायद रूठी हुई थी। दूतावास के राजनयिक यह मानकर चल रहे थे कि वे सबसे सुरक्षित इलाके में मौजूद हैं। तभी अमेरिकी वायु सेना के बी-2 स्टील्थ बॉम्बर ने बेलग्रेड में चीनी दूतावास के ऊपर बमबारी शुरू कर दी। चीनी दूतावास पर हमले का फैसला अमेरिका की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था, क्योंकि बमबारी के लिए सभी टारगेट का चयन खुद अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के एजेंट्स ने किया था। इसमें से एक बम वह भी था जो चीनी राजदूत के घर की छत पर गिरा लेकिन उसमें विस्फोट नहीं हुआ था।
जैसे ही अमेरिकी लड़ाकू विमान ने पहली मिसाइल दागी, वैसे ही कुछ सेकेंड के अंदर चीनी दूतावास में जोरदार धमाका हुआ। हर तरफ खिड़कियों के टूटे कांच, कंक्रीट के टुकड़े और लकड़ियां बिखरी दिखाई दे रही थी। अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने चीनी दूतावास के ऊपर पांच बम दागे। थोड़ी ही देर में पूरा दूतावास आग की लपटों में घिर गया। अंदर मौजूद चीनी राजनयिक जैसे-तैसे अपनी जान बचाकर बाहर भागने लगे। कुल मिलाकर इस हमले में 3 लोग मारे गए और 20 से ज्यादा लोग घायल हुए। चीन ने इसे युद्ध की कार्रवाई और बर्बर घटना करार दिया।
किसी को यह अंदेशा नहीं था कि अमेरिका चीनी दूतावास के ऊपर बमबारी के बारे में सोच भी सकता है। बेलग्रेड में चीनी दूतावास पर हमला एक तरह से चीन की संप्रभुता पर हमला था। चीन ने इस हमले को लेकर अमेरिका पर जमकर निशाना भी साधा, लेकिन उस समय सुपर पावर अमेरिका के आगे चीन की एक न चली। अमेरिका ने इसे गलती से किया गया हमला बताया। हमले के इतने साल बाद भी कोई ऐसा सबूत नहीं मिला जिससे साबित हो सके कि अमेरिका ने यह हमला जानबूझकर दिया था।
चीनी दूतावास पर बमबारी के कुछ ही घंटों के भीतर नाटो और अमेरिका ने सफाई देते हुए इसे एक दुर्घटना करार दिया। 8 मई को नाटो की प्रवक्ता जेमी शेया ने घटना की माफी मांगते हुए कहा कि लड़ाकू विमान ने गलत इमारत को टारगेट बनाया। चीन ने भी एक महीने बाद दावा किया कि बेलग्रेड में उसके दूतावास पर जो बम गिराए गए थे उनके टॉरगेट जीपीएस से ही तय कर दिए गए थे। वहीं अमेरिकी अधिकारियों ने सफाई में कहा कि दरअसल उनका निशाना चीनी दूतावास के कुछ सौ मीटर दूर स्थित यूगोस्लाव फेडेरल डिरोक्टोरेट फॉर सप्लाई एंड प्रोक्योरमेंट' (एफडीएसपी) का मुख्यालय था। यह एजेंसी स्लोबोदान मिलोसेविच की सेना के लिए सैन्य साजो-सामान खरीदा करती थी। यह बिल्डिंग आज भी अपने पुराने रूप में वैसे ही खड़ी है।
सीआईए ने अपनी सफाई में कहा कि यह पूरा मामला एक गलत नक्शे के कारण शुरू हुआ। सीआईए ने ही चीनी दूतावास को टॉरगेट के तौर पर लड़ाकू विमानों को बताया था। हमले के दो दिन बाद अमरीकी रक्षा मंत्री विलियम कोहेन ने कहा कि हमारे एक लड़ाकू विमान ने गलत टॉरगेट को इसलिए चुना क्योंकि उसे एक पुराने नक्शे के आधार पर निर्देश दिए गए थे। हालांकि विलियम कोहेन ने जिस नक्शे का हवाला दिया उसमें न तो चीनी दूतावास का सही ठिकाना था और न ही यूगोस्लाव फेडेरल डिरोक्टोरेट फॉर सप्लाई एंड प्रोक्योरमेंट का।
वाकई, कोई भी देश न तो तब और ना ही अभी, किसी दूसरे देश के दूतावास पर हमले की जुर्रत कर सकता है। दूतावासों को डिप्लोमेटिक इम्यूनिटी प्राप्त होती है। इन दूतावासों में किसी भी देश की पुलिस बिना इजाजत प्रवेश नहीं कर सकती है। इतना ही नहीं, अगर किसी देश का डिप्लोमेट किसी अपराध में दोषी पाया जाता है, तब भी उसे गिरफ्तार न कर देश छोड़ने का आदेश दिया जाता है। आपको विकीलीक्स वाले जूलियस असांज का मामला तो याद ही होगा। उन्होंने खुद को बचाने के लिए लंदन में इक्वाडोर के दूतावास में शरण ली थी। असांजे तो दूतावास में शरण के दौरान ही दो बच्चों के बाप बने थे।
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