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जिसे O3 (ओजोन) से दिखाते हैं. यह एक ढाल के जैसे काम करती है जो धरती के जीवों की रक्षा करती है.
सितंबर का महीना है देश में कई जगहों पर बारिश शुरू हो चुकी है और कई जगहों पर बारिश शुरू होने वाली है. अब सोचिए की आप घर से बाहर निकलते हैं और आपने छाता भी साथ रखा है. रास्ते में बारिश आती है और आप उससे बचने के लिए छाता खोलते हैं लेकिन छाते में आपको छेद मिलता है. इससे क्या होगा? आप बारिश में भीग जाएंगे. बस इस छाते के जैसा ही ओजोन लेयर भी काम करता है. पृथ्वी को चारों ओर से घेरने वाला ये नेचुरल छाता यानी ओजोन लेयर आपकी कई खतरनाक चीजों से रक्षा करता है. इसी ओजोन लेयर को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ने के लिए हर साल 16 सितंबर को 'वर्ल्ड ओजोन डे' मनाया जाता है. ओजोन लेयर सूरज की यूवी रेडिएशन या सोलर रेडिएसन को पृथ्वी पर आने से रोकती है.
क्या जरूरत थी 'वर्ल्ड ओजोन डे' मनाने की?
साल 1985 में जोनाथन शंकलिन (Jonathan Shanklin) अंटार्कटिक में एक रिसर्च कर रहे थे रिसर्च के दौरान उन्होंने ओजोन शील्ड में एक छेद देखा. जोनाथन की बात को कुछ और रिसर्चर्स ने भी सही पाया था. इस खोज के बाद साल 1994 में यूनाइटेड नेशन (United Nations) ने 16 सितंबर के दिन 'वर्ल्ड ओजोन डे' मनाने का ऐलान किया. तब से 'वर्ल्ड ओजोन डे' (International Ozone Day) हर साल मनाया जाता है. इस बार 'वर्ल्ड ओजोन डे' की थीम है, 'पृथ्वी पर जीवन की रक्षा के लिए वैश्विक सहयोग (Global Cooperation Protecting Life on Earth).'
क्या है ओजोन लेयर की जरूरत?
ओजोन लेयर को धरती की जीवन रक्षक परत भी कहते हैं. जो सूरज की यूवी रेडिएशन या सोलर रेडिएसन के असर को कम करती है. इसके साथ ही ये किसी फिल्टर की तरह काम करती है अगर धरती की ओजोन लेयर ज्यादा डैमेज हो गई तो स्किन कैंसर, मोतियाबिंद और सनर्बन जैसी परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं. क्लोरीन, ODS (क्लोरोफ्लोरोकार्बन-CFC, एचसीएफसी और हैलोन), हेलोकार्बन रेफ्रिजरेंट, सॉल्वैंट्स, प्रोपेलेंट और फोम-ब्लोइंग एजेंट से ओजोन लेयर पर बुरा प्रभाव पड़ा है. ये लेयर आक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बना होती है जिसे O3 (ओजोन) से दिखाते हैं. यह एक ढाल के जैसे काम करती है जो धरती के जीवों की रक्षा करती है.
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