जनता से रिश्ता वेबडेस्क| क्या अमेरिका में अगले कुछ सालों में सम्भव है हिन्दू नाम वाला राष्ट्रपति? नम्रता रंधावा( निक्की हैली) या कमला देवी (कमला हैरिस) जैसे नाम व्हाइट हाउस की रेस में मजबूत दावेदार हैं? संभावनाओं भरे यह सवाल अब अमेरिकी राजनीति में भारतीय मूल के अमेरिकियों की बढ़ती भागीदारी के साथ तेजी से आकार ले रहे हैं.
बीते कुछ सालों के दौरान अमेरिकी राजनीति में बाकायदा हिंदू, सिख आदि भारतीय मूल की धार्मिक पहचान वाले लोग अपनी राजनीतिक मौजूदगी दर्ज कराने में जुटे हैं. रिपब्लिकन हिंदू और डेमोक्रेट हिंदू राजनीति के दोनों सिरों पर तेजी से उभरे हैं. इतना ही नहीं अमेरिकन हिंदू कोएलिएशन जैसे नए संगठन अब गैर-भारतीय मूल के हिंदुओं को समेटते हुए अधिक सशक्त सियासी प्रेशर ग्रुप बनाने में लगे हैं.
अमेरिकन हिंदू कोएलिशन के महासचिव अलोक श्रीवास्तव कहते हैं कि अमेरिका में करीब 50 लाख हिंदू हैं. इनमें से एक बड़ी संख्या उन हिंदुओं की भी है जो गैर-भारतीय मूल के हैं. लेकिन इस बड़ी आबादी का राजनीतिक प्रतिनिधित्व बेहद कम है. ऐसे में एक राजनीतिक प्रयास है, ताकि हिंदू आबादी को अमेरिकी राजनीति में उचित प्रतिनिधित्व मिले.
संगठन के अध्यक्ष शेखर तिवारी ने एबीपी न्यूज से बातचीत में कहा कि अमेरिका में डेमोक्रेट और रिपब्लिकन, दोनों ही दलों में हिंदू उम्मीदवारों के समर्थन के लिए उनकी टीम काम कर रही है. इसके लिए कैलिफोर्निया से लेक वर्जिनिया जैसे सूबों में कांग्रेस और सिनेट की सीटों पर उम्मीदवारी रख रहे हैं. अमेरिका में विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों के संस्थापकों में रहे शेखर तिवारी कहते हैं कि बांग्लादेश, पाकिस्तान जैसे देशों में हिंदुओं की दुर्दशा पर भी भारतीय नेताओं के मुकाबले अमेरिकी हिंदू राजनेता कहीं अधिक प्रभावशाली हो सकते हैं.
इतना ही नहीं अमेरिकन हिंदू कोएलिशन की कोशिश है कि 2024 और उसके बाद होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में हिंदू नाम वाले उम्मीदवार कम से कम रेस में नजर आएं. तिवारी कहते हैं कि नम्रता रंधावा और कमला देवी हैरिस जैसी महिला उम्मीदवारों का कद इस बात का संकेत देता है कि यह असंभव नहीं है.
डेमोक्रेटिक पार्टी से उपराष्ट्रपति पद के लिए भारतीय अमेरिकी मां की संतान कमला देवी हैरिस की उम्मीदवारी उम्मीदों को काफी बढ़ाती है. अमेरिकी व्यवस्था में उपराष्ट्रपति खासी महत्पूर्ण हैसियत रखता है. साथ ही संवैधानिक व्यवस्था में राष्ट्रपति के काम न कर पाने की स्थिति में स्वतः ही राष्ट्रपति बन जाता है. इतना ही नहीं राष्ट्रपति बनने की रेस में भी उपराष्ट्रपति रह चुके व्यक्ति की संभावना अधिक बेहतर होती है. राष्ट्रपति चुनाव 2020 की दौड़ में खड़े जो बाइडन भी इससे पहले बराक ओबामा के साथ उपराष्ट्रपति रह चुके हैं.
रिपब्लिकन पार्टी में भी तुलसी गबार्ड जहां राष्ट्रपति पद की शुरुआती दौड़ में खड़ी हुई थीं. वहीं राष्ट्रपति ट्रंप की सरकार के दौरान संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत रह चुकी निक्की हैली का भी कद बढ़ा है और उन्हें भविष्य की रेस के लिहाज से अहम माना जा रहा है.