जनता से रिश्ता वेबडेस्क| अफगानिस्तान (Afghanistan) में अमेरिका के जाने का बाद सरकार बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. तालिबान पर दुनिया के देशों में मान्यता देने को लेकर मंथन भी चल रहा है. वहीं पाकिस्तान (Pakistan) से तालिबान (Taliban) के सौहार्द संबंध होने में किसी को शक भी नहीं हैं लेकिन दशकों से चला आ रहा अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा विवाद अब फिर सर उठाता दिख रहा है. दोनों देशों के बीच यह सीमा डूरंड रेखा के नाम से जानी जाती है. यह तालिबान पाकिस्तान के बीच दूरियां बढ़ने का कारण बन सकता है. आइए जानते हैं कि क्या है यह डूरंड लाइन जो पाकिस्तान अफगानिस्तान दोनों को ही विरासत में मिली है.
तालिबान-पाकिस्तान में तनाव संभव
डूरंड लाइन को लेकर विवाद उभरने के संकेत दिखने भी लगे है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में तालिबान प्रवक्ता जुबिउल्लाह मुजाहिद ने पाकिस्तान के पश्तो चैनल पर कहा कि पाकिस्तान के डूरंड लाइन पर तारों की फेंस लगाने का अफगान विरोध करते हैं. मुजाहिद ने कहा कि फेंसिंग ने लोगों और परिवारों को अलग किया है और वे सीमा पर शांतिपूर्ण वातावरण चाहते हैं जिसमें किसी भी तरह की रुकावट ना हो.
क्या है डूरंड लाइन
डूरंड लाइन 19वीं सदी में ब्रिटिश और रूसी साम्राज्य के बीज जद्दोजहद की विरासत का नतीजा है जहां अंग्रजों अफगानिस्तान को एक बफर स्टेट (दो बड़े देशों के बीच एक छोटा देश) की तरह देखा जिससे रुस पूर्व में अपना विस्तार ना कर सके. इसी वजह से 12 नवंबर 1893 को ब्रिटिश अधिकारी सर हेनरी मोर्टिमेर डूरंड और अफगान शासक आमिर अब्दुर रहमान में एक समझौता हुआ जिसके तहत डूरंड लाइन का जन्म हुआ.