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नया जीवन शुरू करने में कंपनियां कर रहीं मदद
अक्सर आपने ऐसे लोग देखे होंगे, जो जिंदगी से परेशान होकर नया जीवन शुरू करने के बारे में सोचते हैं. आपको ये बात सोचकर थोड़ा अटपटा लग सकता है. लेकिन ऐसा वास्तव में होता है. इस काम के लिए बकायदा कंपनियां मोटा पैसा लेती हैं. अमेरिका से लेकर जर्मनी और ब्रिटेन तक, कई जगहों से ऐसी खबरें आईं, जब लोगों ने जिंदगी से परेशान होकर अपना सबकुछ छोड़ दिया (Jouhatsu in Japan). ये लोग एक नई जिंदगी शुरू करने के लिए अपना घर, परिवार और नौकरी तक छोड़कर अचानक गायब हो गए.
ज्यादातर मामलों में लोगों को ढ़ूंढ़ने पर भी कोई सुराग नहीं मिल पाता. कुछ ऐसा ही जापान में भी होता है. या ये कहें कि ऐसा सबसे अधिक जापान में देखने को मिलता है. कभी अपने परिवार को पीछे मुड़कर ना देखने वाले इन्हीं लोगों को जापान में जोहात्सु कहते हैं (People Vanish in Japan). यानी भाप बनकर उड़ जाना. गायब होने वाले लोगों को भी इसी शब्द से संबोधित किया जाता है. कई बार ऐसे मामले भी सामने आए, जब गायब होने वाला शख्स घर से रोजाना की तरह नौकरी के लिए निकला, लेकिन दोबारा कभी नहीं लौटा.
42 साल के ऐसे ही एक शख्स ने अपनी कहानी बताई. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उसने कहा, 'मैं इंसानी रिश्तों से तंग आ चुका था. तो मैंने एक छोटा सूटकेस लिया और गायब हो गया.' लोगों के अचानक गायब होने के पीछे की वजह कभी भारी कर्ज होता है, तो कभी पारिवारिक तनाव. गायब होने की इस प्रक्रिया में कंपनियां लोगों की मदद करती हैं. इस तरह के ऑपरेशंस को 'नाइट मूविंग' सर्विस (Night Moving Service) कहते हैं. ये कंपनियां लोगों को उनकी वर्तमान जिंदगी से दूर एक नया जीवन जीने में मदद करती हैं. गुप्त स्थानों पर लोगों के रहने की व्यवस्था की जाती है. इसके लिए कंपनियां मोटी रकम लेती हैं.
जापान में आर्थिक हालात बिगड़ने के दौरान 1990 के दशक में 'नाइट मूविंग कंपनी' शुरू करने वाले शो हतोरी कहते हैं, 'सामान्य तौर पर गायब होने के पीछे का कारण सकारात्मक होता है, जैसे किसी यूनिवर्सिटी में दाखिला लेना, नई नौकरी पाना या शादी करना (Why People Disappear in Japan). लेकिन इसके पीछे दुखद कारण भी होते हैं, जैसे यूनिवर्सिटी से बाहर निकाल दिया जाना, नौकरी का खोना या किसी पीछा करने वाले बचना.'
हतोरी शुरुआत में मानते थे कि लोग आर्थिक तंगी की वजह से गायब होते हैं लेकिन अब उन्हें पता चला कि इसके पीछे की वजहें सामाजिक भी होती हैं. वह कहते हैं, 'हम क्या करते हैं, केवल लोगों को दूसरा जीवन शुरू करने में उनकी मदद करते हैं.' जोहात्सु पर दशकों तक रिसर्च करने वाले समाजशास्त्री हिरोकी नाकामोरिक कहते हैं कि सबसे पहले इस शब्द का इस्तेमाल 1960 के दशक में गायब होने वाले लोगों के लिए किया जाता था. जापान में तलाक के मामले भी इसलिए कम हैं क्योंकि लोग कानून की औपचारिकताएं पूरी करने से बेहतर लापता होना समझते हैं.
नाकामोरिक कहते हैं कि जापान में गायब होना बहुत आसान है. इसके पीछे का एक कारण ये भी है कि जापान में निजता को लेकर बेहद सख्त कानून है (Privacy Law in Japan). जब तक पुलिस को किसी साजिश (जैसे अपराध या कोई दुर्घटना) की आशंका नहीं होती, वो तब तक लापता व्यक्ति की तलाश नहीं करती. यही वजह है कि ऐसे लोग एटीएम से पैसा तक निकाल सकते हैं. ऐसे में परिवार के पास तलाश के लिए केवल निजी जासूस को हायर करना ही एक तरीका होता है. या फिर वह केवल इंतजार कर सकते हैं.
गायब होने वाले लोग अपने पीछे परिवार को छोड़ जाते हैं. इस काम में पुलिस भी लोगों की मदद नहीं करती. परिवार के लोग केवल दुखी होकर अफसोस जताते रहते हैं (Companies Help People Vanish). कई बार पूरी जिंदगी इसी सोच में निकल जाती है कि आखिर उनसे (परिवार) कौन सी गलती हो गई, कि परिवार का एक सदस्य कभी ना लौटना के लिए चला गया. जिनके पास पैसा नहीं होता, वो लोग निजी जासूस की मदद भी नहीं ले पाते.
नाइट मूविंग कंपनी चलाने वाली एक महिला खुद 17 साल से लापता है. उसका कहना है कि वह शादी के बाद हिंसा से तंग आ चुकी थी. अब वह बिना कारण पूछे लोगों की इसी काम में मदद करती हैं (Missing Complaints Japan). जब लोग उनसे संपर्क करते हैं, तो वह कभी भी उनसे गायब होने का कारण नहीं पूछतीं. रिपोर्ट्स के अनुसार, एक व्यक्ति अपनी पत्नी और बच्चों को छोड़कर चला गया. वो घर से बिजनेस ट्रिप का बहाना बनाकर निकला था. अब उसे परिवार को छोड़कर चले जाने का दुख है. लेकिन वो वापस भी नहीं जाना चाहता.
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