विश्व
क्या है यूक्रेन पर बाइडन और पुतिन की वार्ता विफल के बड़े निहितार्थ? जानिए- रूस की बड़ी चिंताएं- एक्सपर्ट व्यू
Renuka Sahu
13 Feb 2022 4:35 AM GMT
x
फाइल फोटो
यूक्रेन को लेकर रूस और अमेरिका के बीच टकराव बरकरार है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच वार्ता बेनतीजा रही।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूक्रेन को लेकर रूस और अमेरिका के बीच टकराव बरकरार है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच वार्ता बेनतीजा रही। दोनों नेताओं की वार्ता विफल होने के बाद यूक्रेन को लेकर दोनों देश आमने-सामने आ गए हैं। व्हाइट हाउस ने यह जानकारी साझा की है। सवाल यह है कि यह वार्ता विफल क्यों हुई? पुतिन और बाइडन के बीच वार्ता के विफल होने के बाद यूक्रेन समस्या के राजनयिक समाधान के सभी रास्ते बंद हो गए हैं? क्या यूक्रेन और रूस के बीच जंग ही अंतिम समाधान है? अगर रूस और यूक्रेन भीड़े तो इसके क्या बड़े निहितार्थ होंगे? क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर अग्रसर है? आइए जानते हैं कि इस समस्या पर विशेषज्ञों की क्या राय है।
अमेरिका ने दिया संकेत, युद्ध और कूटनीति दोनों के लिए तैयार
खास बात यह है कि दोनों नेताओं के बीच यह वार्ता तब विफल हुई है, जब बाइडन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने खुफिया सूचनाओं का हवाला देते हुए आगाह किया कि रूस कुछ ही दिन में और बीजिंग में चल रहे शीत ओलंपिक के 20 फरवरी को समाप्त होने से पहले आक्रमण कर सकता है। रूस ने यूक्रेन की सीमा पर एक लाख से ज्यादा सैनिकों का जमावड़ा कर रखा है। रूस और पड़ोसी देश बेलारूस में युद्धाभ्यास के लिए अपने सैनिक भेजे हैं। वाइट हाउस ने कहा कि हम रूसी राष्ट्रपति पुतिन के दिमाग के अंदर झांक कर नहीं देख सकते, हम उनके फैसलों और इरादों को लेकर अटकलें नहीं लगा सकते। अमेरिका ने कहा कि हम हर परिस्थिति के लिए तैयार हैं। अगर वह कूटनीति का रास्ता अपनाना चाहते हैं तो हम उनके साथ हैं। अगर वह आगे बढ़ना चाहते हैं तो हम निर्णायक रूप से जवाब देने के लिए अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम करेंगे।
रूस के लिए क्यों जरूरी है यूक्रेन
1- प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि यूक्रेन की समस्या को लेकर बाइडन और पुतिन की वार्ता का विफल होना एक शुभ संकेत नहीं है। यह दुनिया में एक नए शीत युद्ध की दस्तक है। रूस की पूरी कोशिश है कि किसी भी हाल में यूक्रेन नाटो का सदस्य देश नहीं बने। इसके पीछे उसकी धारणा यह है कि वह किसी भी हाल में अपने देश की सीमा के समीप एक खतरनाक सैन्य गठबंधन का प्लेटफार्म बनते नहीं देख सकता है। रूस की कोशिश है कि यूक्रेन नाटो का सदस्य देश न बने ताकि उसे उसके सदस्य देशों से मिसाइल और सैनिक न मिल सके।
2- प्रो पंत का कहना है कि रूस सदैव से यूक्रेन को एक बफर जोन के रूप में देखता रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब रूस पर पश्चिम से हमला हुआ तो यूक्रेन का ही वह इलाका था, जहां से रूसी सेना ने अपनी एक मजबूत रणनीति बनाई थी। दरअसल, यूक्रेन रूस की पश्चिम सीमा पर स्थित है। यूक्रेन की की भौगोलिक स्थिति रूस की सामरिक दृष्टि से बेहद उपयोगी है। रूस की राजधानी से वह महज 1,600 किलोमीटर दूर है। रूस का मानना है कि अगर यूक्रेन पर अमेरिका और नाटो का प्रभुत्व बढ़ता है तो यह रूस के सामरिक हितों के हिसाब से खतरनाक होगा। इसलिए पुतिन अंतिम क्षण तक यूक्रेन को एक बफर जोन के रूप में अपने प्रभाव क्षेत्र में रखना चाहते हैं।
3- उन्होंने कहा कि पुतिन इस बात पर जोर देते हैं कि बेलारूस, रूस और यूक्रेन के बीच ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। रूस और यूक्रेन के लोग एक समान है। पुतिन का कहना है कि रूस यूक्रेन को केवल एक अन्य देश के रूप में नहीं देखता है। वह इसे रूस का दिल भी मानते हैं। यूक्रेन को लेकर यह रूस का बहुत ही शक्तिशाली नजरिया है, जो उसकी मूल पहचान में निहित है। पुतिन एक लंबे समय से इस मुद्दे से जूझते रहे हैं और अब उन्हें लगता है कि ये अधूरा काम उनकी विरासत बन जाएगा इसलिए इसे हमेशा-हमेशा के लिए फिक्स करना जरूरी है। पुतिन का मानना है कि पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को एक रूस विरोधी मंच बना दिया है और इस समस्या का हल आवश्यक है।
Next Story