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इसके अलावा श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह में चीनी पोत की दस्तक ने भारत की चिंता को बल दिया है।
दक्षिण एशिया में कई मुल्कों में आए आर्थिक संकट की आंच चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट तक पहुंच रही है। यही कारण है कि कई देशों में चीन के इस प्रोजेक्ट पर काम रुक गया है। ऐसे में चीन की यह परियोजना कमजोर पड़ रही है। उधर, अमेरिका की भी चीन की इस परियोजना पर पैनी नजर है। आइए जानते हैं कि चीन की यह महत्वकांक्षी परियोजना क्या है। क्या इस परियोजना से चीन की साख को धक्का लगा है। अमेरिका इस क्षेत्र में चीन को कैसे टक्कर दे रहा है। इसके साथ यह भी जानेंगे कि भारत इस परियोजना में क्यों नहीं शामिल है। भारत इस परियोजना का विरोध क्यों करता है।
भारत ने इस परियोजना क्यों किया विरोध
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि भारत प्रत्यक्ष रूप से BRI परियोजना में शामिल नहीं है। भारत ने इस चीनी परियोजना का शुरू से विरोध किया है। दरअसल, इस परियोजना का एक भाग पाकिस्तान के कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र से होकर गुजरता है। यह भारत की संप्रभुता के लिए खतरा है। इसके अलावा इस योजना से भारत की सामरिक चुनौतियां भी बढ़ेंगी। इस परियोजना के मार्फत चीन, भारत को घेरने का प्रयास कर रहा है। ऐसे में यदि इस परियोजना का काम रुकता है तो भारत के प्रति उसकी स्ट्रिंग आफ पर्ल की नीति को गहरा धक्का पहुंचेगा।
2- दूसरे, भारत को यह भी चिंता सता रही है कि यदि भारत के पड़ोसी मुल्क चीन के ऋण (श्रीलंका, पाकिस्तान बांग्लादेश, नेपाल) चुकाने में विफल रहे तो चीन इन देशों को अपना उपनिवेश बना सकता है, जो सीधे तौर पर भारत के सामरिक और रणनीतिक हितों को चुनौती देगा। हाल के दिनों में जिस तरह से पड़ोसी मुल्कों में तंगी आई उसके बाद से यह सवाल और भी सटीक लगता है। इसके अलावा श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह में चीनी पोत की दस्तक ने भारत की चिंता को बल दिया है।
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