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अदालत ने उसे मेंटल हॉस्पिटल में भेजने का आदेश भी सुनाया.
अमेरिका (America) के राष्ट्रपति को मिलने वाली सुरक्षा दुनिया में सबसे कड़ी मानी जाती है. सुरक्षाबलों के दस्तों की तैनाती इस कदर की जाती है कि परिंदा भी पर न मार सकें. लेकिन 30 मार्च 1981 का दिन अमेरिकी इतिहास की वो काली तारीख है, जब देश के सर्वोच्च व्यक्ति को गोलियों का शिकार होना पड़ा. इस दिन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन (Ronald Reagan) को वाशिंगटन डीसी होटल के बाहर सीने में गोली मारी गई. ये हमला जॉन हिंकली जूनियर (John Hinckley Jr) नामक एक पागल और आवारा व्यक्ति द्वारा की गई थी. सुनवाई के दौरान जज ने उसके पागल होने के चलते उसे दोषी नहीं माना.
राष्ट्रपति वाशिंगटन हिल्टन होटल में एक लेबर बैठक को संबोधित करने के बाद बाहर निकले. रीगन अपने सहयोगियों संग अपनी लिमोजिन के तरफ बढ़ रहे थे. इसी दौरान पत्रकारों के एक समूह के बीच खड़े हिंकली ने राष्ट्रपति पर छह गोलियां दाग दीं. इस हमले में रीगन और उनके तीन सहयोगियों को गोली लग गई. व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेम्स ब्रैडी के सिर में गोली लगी और गंभीर रूप से जख्मी हुए. सीक्रेट सर्विस के एजेंट टिमोथी मैकार्थी को बगल में गोली मारी गई और डीसी के पुलिसकर्मी थॉमस डेलहान्टी को गर्दन में गोली लगी.
दिल के बेहद करीब लगी गोली
अमेरिकी राष्ट्रपति पर हमला करने के बाद सुरक्षाबल तेजी से हिंकली की ओर कूदे और उसे पकड़ लिया. उसे एक दीवार की तरफ ले जाया गया और उसके दोनों हाथों में हथकड़ी लगा दी गई. रीगन को एक सीक्रेट सर्विस एजेंट ने लिमोजिन में बैठाया और तेजी से अस्पताल ले जाया गया. राष्ट्रपति को बाएं फेफड़े की ओर गोली लगी थी और ये दिल के बेहद ही करीब थी. 70 वर्षीय राष्ट्रपति अस्पताल पहुंचने पर घायल अवस्था में खुद ही चलते हुए अस्पताल के प्रांगण में पहुंचे.
सर्जरी के अगले दिन ही काम करने लगे राष्ट्रपति
राष्ट्रपति रीगन को तुरंत सर्जरी के लिए ले जाया गया. उनके चेहरे पर किसी भी प्रकार का डर नहीं था. दो घंटे तक हुई सर्जरी के बाद राष्ट्रपति होश में आए और स्थिर नजर आ रहे थे. अगले दिन, राष्ट्रपति ने अपने कुछ कार्यकारी कर्तव्यों को फिर से शुरू किया और अपने अस्पताल के बिस्तर से एक कानून पर हस्ताक्षर किए. 11 अप्रैल को वह व्हाइट हाउस में फिर से लौट आए. रीगन की लोकप्रियता हत्या के प्रयास के बाद बढ़ गई और अप्रैल के अंत में कांग्रेस ने उनका एक नायक की तरह स्वागत किया.
पागलपन की वजह दोषी नहीं पाया गया हमलावर हिंकली
दूसरी ओर, 30 मार्च 1981 को ही 25 वर्षीय जॉन हिंकली को गिरफ्तार किया गया और राष्ट्रपति पर हमला करने को लेकर उस पर गंभीर धाराएं लगाई गईं. हिंकली को टेनेसी में पहले भी हथियारों से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया गया था. जून 1982 में उसे पागलपन के चलते दोषी नहीं पाया गया. सुनवाई के दौरान हिंकली के वकील ने मेडिकल सबूतों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि उसका मुवक्किल नार्सिसटिक पर्सनेलिटी डिसऑर्डर से ग्रस्त है. उसने 1976 में टैक्सी ड्राइवर नामक एक फिल्म को देखने के बाद इस हमले को अंजाम दिया.
मेंटल हॉस्पिटल में भेजा गया हिंकली
हिंकली के वकील ने अदालत में कहा कि उसके मुवक्किल ने इस फिल्म को दर्जनों बार देखा था. इसमें मुख्य किरदार एक सीनेटर को मारने का प्रयास करता. इस फिल्म को देखने के बाद हिंकली मुख्य किरदार से प्रभावित हो गया. इस तरह हिंकली नहीं बल्कि ये फिल्म राष्ट्रपति पर हुए हमले की असल वजह है. अदालत ने फैसला सुनाया कि हिंकली इसलिए दोषी नहीं है क्योंकि वह पागल है. इस फैसले के बाद अमेरिका में इसकी काफी आलोचना हुई. हालांकि, अदालत ने उसे मेंटल हॉस्पिटल में भेजने का आदेश भी सुनाया.
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