x
यूरोप (Europe) में युद्ध का खतरा बढ़ गया है
यूरोप (Europe) में युद्ध का खतरा बढ़ गया है. जी हां, दरअसल, जो बाइडेन (Joe Biden) के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका (America) और रूस (Russia) के बीच तनाव अचानक बढ़ गया है. दुनिया के इन दो महा-शक्तिशाली देशों के बीच अब जो आग सुलग रही है उसमें पूरे यूरोप के जलने का खतरा पैदा हो गया है. ये दोनों शक्तिशाली देश पहले से ही Baltic Sea में वर्चस्व को लेकर एक दूसरे को मरने मारने पर उतारू हो रहे हैं लेकिन अब इस जंग (War) के मैदान का दायरा बढ़कर बैरंट सागर (Barent Sea) तक पहुंच गया है.
संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपने सबसे ताकतवर परमाणु बॉम्बर विमानों को नॉर्वे में तैनात कर दिया है. वहीं रूस ने भी अपनी मिसाइलों का रुख नॉर्वे की तरफ मोड़ दिया है. ऐसा माना जा रहा है कि नए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन शुरुआत से ही रूस को चुनौती देने की कोशिश में लगे हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ रूस भी किसी कीमत पर दबने को तैयार नहीं है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विरोधी एलेक्सी नवलनी की गिरफ्तारी के बाद से रूस और यूरोपीय देशों के बीच तनाव पहले ही काफी बढ़ गया है. यूरोपियन यूनियन जहां रूस पर नई पाबंदियां लगाने पर विचार कर रहा है, वहीं रूस ने भी साफ कर दिया है कि अगर ऐसा हुआ तो वो अपने रिश्ते पूरी तरह से खत्म कर देगा.
रूस ने जारी किया NOTAM
इस इलाके में अमेरिका के 4 B-1 Strategic Bomber Planes के आते ही रूस के रक्षा मंत्रालय ने Missile test के लिए NOTAM जारी किया है. ये नोटम एक तरह की चेतावनी होती है कि इस इलाके में किसी घातक Flying object का टेस्ट किया जाएगा. NOTAM जारी करके उस इलाके में किसी भी उड़ान पर पाबंदी लगा दी जाती है और फिर भी अगर कोई Military aircraft इस इलाके में उड़ता है तो उसे सावधान किया जाता है. फ़िलहाल रूस की तरफ से ये चेतावनी 18 से 24 फरवरी के लिए दी गई है. रूस ने इस चेतावनी में नॉर्वे की जमीन से लेकर स्वेलबर्ड द्वीप तक का इलाका शामिल किया है, जिसे बियर गैप के नाम से जाना जाता है. रूस ने जो मिसाइल तैनात की हैं, उसके निशाने पर बैरंट सी का पूरा इलाका भी है, यहां रूस ने अपने कई जंगी जहाज भी गश्त करने के लिए तैनात किए हैं.
यूरोप में ताकत बढ़ा रहा अमेरिका
दरअसल, अमेरिका की तरफ से लगातार यूरोप में मिलिट्री ताकत को मजबूत करने की कोशिश की जा रही है. नॉर्वे में अमेरिकी सेना के 200 जवान पहले ही पहुंच चुके हैं. अमेरिकी सेना की इस टीम में B-1 स्ट्रैटजिक बॉम्बर विमानों की मेंटिनेंस टीम, हथियारों की हैंडलिंग करने वाली टीम के साथ ही अमेरिकी सेना के कमांडो भी शामिल हैं.
बाइडेन ने पलटा अमेरिका सैनिकों की वापसी का फैसला
राष्ट्रपति पद संभालने के बाद जो बाइडेन ने डोनाल्ड ट्रंप के आदेश को पलट दिया था, जिसमें अमेरिकी सेना को जर्मनी से वापस बुलाने को कहा गया था. जर्मनी और नॉर्वे के अलावा ग्रीनलैंड में भी अमेरिकी सेना पहले से ही मौजूद है. इन हालात में रूस को अब ये डर सताने लगा है कि कहीं, अमेरिका यूरोप में उसके असर को कम करने के लिए घेराबंदी की प्लानिंग तो नहीं कर रहा. डोनाल्ड ट्रंप के समय में भी अमेरिकी सेना ने बाल्टिक सागर में अपनी पकड़ मजबूत करने की खूब कोशिश की थी लेकिन रूस चौकन्ना हो गया और अमेरिका की कोशिश कामयाब नहीं हुई थी.
Next Story