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विश्वास मत की जंग, पूर्व पीएम ओली की पार्टी देउबा सरकार के खिलाफ करेगी वोट
Deepa Sahu
16 July 2021 5:09 PM GMT
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अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल ने फैसला लिया है.
काठमांडू, अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल ने फैसला लिया है कि वह निचले सदन में विश्वास मत के दौरान नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा सरकार के खिलाफ वोट करेंगे। पार्टी की ओर से शुक्रवार को जारी बयान में कहा गया कि सीपीएन-यूएमएल ने काठमांडू में हुई स्थाई समिति की बैठक में यह फैसला लिया है।
उन्होंने संसद में विपक्षी बेंच में भी बैठने का फैसला किया है। ओली की अध्यक्षता में हुई बैठक में पार्टी की टास्कफोर्स ने दस सूत्रीय प्रस्तावों को आगे बढ़ाया है। हालांकि विद्रोही नेता माधव कुमार ने इस उच्चस्तरीय बैठक का बहिष्कार किया है। यूएमएल के नेताओं के भी देउबा सरकार के पक्ष में ही वोट डालने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री देउबा की सरकार के अस्तित्व के लिए यूएमएल का समर्थन अहम होगा।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त हुए नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को तीस दिनों के अंदर सदन में विश्वास मत हासिल करना है। वर्तमान में 75 वर्षीय देउबा की नेपाली कांग्रेस के पास केवल 61 सदस्य हैं। उन्हें अन्य दलों का सहयोग प्राप्त है। अगर देउबा विश्वास मत हासिल कर लेते हैं, तो उन्हें अपनी सरकार चलाने के लिए 18 महीने मिल जाएंगे। उसके बाद उन्हें चुनाव कराने होंगे।
यदि वे विश्वास मत हासिल करने में असफल होंगे तो देश में अगले छह माह में चुनाव हो जाएंगे। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार देउबा का राजनीतिक भविष्य अगले तीस दिनों में ही तय हो जाएगा। हालांकि उन्हें अभी भी 149 संसद सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। इसमें यूएमएल के माधव नेपाल गुट के 26 सदस्य भी शामिल हैं। मौजूदा समय में निचले सदन में 271 सदस्य ही हैं। ऐसी स्थिति में उनको बहुमत जुटाने के लिए 136 मतों की आवश्यकता होगी।
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