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War Disasters: दो देशों के बीच हुआ खूनी युद्ध, आम नागरिकों पर बरसा दीं ताबड़तोड़ गोलियां, 613 लोगों की मौत

Neha Dani
26 Feb 2021 3:05 AM GMT
War Disasters: दो देशों के बीच हुआ खूनी युद्ध, आम नागरिकों पर बरसा दीं ताबड़तोड़ गोलियां, 613 लोगों की मौत
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जिसे शांत कराने में रूस (Russia’s Role in Nagorno Karabakh War) ने प्रमुख भूमिका निभाई थी.

दुनिया में बेशक शांति स्थापित करने के लिए चाहे कितने भी प्रयास किए जाते हों, लेकिन कई देश अब भी युद्ध जैसी स्थितियों का सामना कर रहे हैं. इनमें से कई युद्ध (Wars for Land) तो जमीन के उस टुकड़े के लिए होते हैं, जिसपर आम जनता रहती है. ऐसे में इससे सबसे अधिक प्रभावित भी आम लोग ही होते हैं. युद्ध के कारण उनकी जिंदगियां पल भर में तबाह हो जाती हैं. ऐसी ही एक घटना सोवियत यूनियन (Soviet Union) का हिस्सा रहे दो देशों के बीच होने वाले युद्ध के समय हुई थी, जिसमें सैकड़ों लोगों को मौत को घाट उतार दिया गया. ये युद्ध अजरबैजान और आर्मीनिया (Armenia Azerbaijan War) के बीच हुआ पहला युद्ध था.

अजरबैजान और आर्मीनिया की सेना के बीच हुए पहले नागोर्नो-काराबाख युद्ध ( First Nagorno Karabakh War) के दौरान आज ही के दिन यानी 26 फरवरी, साल 1992 (26 February History) में खोजली नरसंहार (Khojaly Massacre) हुआ था. जिसमें आर्मीनियाई सशस्त्र बलों और 366वीं सीआईएस रेजिमेंट ने जातीय अजरबैजानी लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी कर दी थी. ये घटना खोजली शहर के बाहर एक सैन्य पोस्ट पर हुई थी. जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे. इस घटना को खोजली त्रासदी (Khojaly Tragedy) के नाम से भी जाना जाता है. यह बड़े तौर पर की गई सामूहिक हत्याएं थीं.
मरने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल
इस नरसंहार में कम से कम 200 लोगों की हत्या की गई थी लेकिन ऐसा भी कहा जाता है कि इस दौरान अजरबैजान के 613 आम नागरिक मारे गए थे. अजरबैजान के अधिकारी मृतकों की संख्या 613 बताते हैं, जिसमें 106 महिलाएं और 63 बच्चे शामिल थे. ये नागोर्नो काराबाख विवाद (Nagorno Karabakh Conflict) के कारण होने वाला सबसे बड़ा नरसंहार था. आमतौर पर इस नरसंहार को खोजली नरसंहार (Khojaly Massacre) भी कहा जाता है. रिपोर्ट्स की मानें तो नागोर्नो काराबाख विवाद के कारण अजरबैजान और आर्मीनिया दोनों ही ओर लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था.
बड़ी संख्या में मारे गए लोग
दोनों ही तरफ लोगों की सांस्कृतिक पहचान मिटाने की कोशिश हुई, जिसके चलते बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई या लोगों को विस्थापित होना पड़ा. 1992 में होने वाला ये युद्ध सबसे अधिक भीषण (Nagorno Karabakh Conflict) माना जाता है. इसी साल (1992) फरवरी महीने में काराबाख की राजधानी स्तेपनाकेर्त में अजरबैजान की सेना ने नाकाबंदी की थी. खोजली में इस क्षेत्र का इकलौता एयरपोर्ट हुआ करता था, काराबाख के लोगों के लिए उसकी काफी अहमियत थी. ये स्थान आर्मीनिया से जमीनी तौर पर नहीं जुड़ा था और इसपर पूरी तरह अजरबैजान ने नाकाबंदी कर दी थी.
आम लोगों में डर पैदा किया गया
मानवाधिकार से संबंधित एक संस्था ने कहा था कि खोजली को अजरबैजान का सशस्त्र बल सैन्य बेस के तौर पर इस्तेमाल करता था. यहां ये लोग गोलीबारी करते थे और तोप से गोले दागा करते थे. जिसमें सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी और बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए. ऐसा करने के पीछे का प्रमुख उद्देश्य आम नागरिकों में डर पैदा करना था लेकिन अक्सर लोगों के घरों, अस्पतालों और अन्य स्थानों को भी नुकसान पहुंचाया जाता था. यानी खोजली के लोगों को अजरबैजान की सेना ने भी काफी नुकसान पहुंचाया था.
सर्दियों में हुए सबसे अधिक हमले
1991-1992 में सर्दियों के मौसम में (Nagorno Karabakh History) लगभग रोजाना खोजली में तोप से गोले दागे जाते थे. जिसके चलते लोगों को रात घरों के बेसमेंट में छिपकर बितानी पड़ती थी. अधिकतर लोग तो अपने घर बार तक छोड़कर भाग गए. अर्मीनिया और अजरबैजान की सेना स्तेपनाकेर्त पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए एक दूसरे को निशाना बनाती थीं, लेकिन इनके हमलों की चपेट में आम नागरिक भी आते थे. इसी इलाके को लेकर इन दोनों देशों के बीच बीते साल भी युद्ध हुआ था, जिसे शांत कराने में रूस (Russia's Role in Nagorno Karabakh War) ने प्रमुख भूमिका निभाई थी.


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