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चुनावी हिंसा में नौ लोगों की मौत
बांग्लादेश में गुरुवार को ग्राम परिषद चुनाव के लिये मतदान हो रहा है, जिसमें सत्तारूढ़ दल की स्थिति और मजबूत होने की संभावना है लेकिन दक्षिण एशियाई राष्ट्र में लोकतंत्र की स्थिति को लेकर चिंताएं भी व्यक्त की जा रही हैं.सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी यह कहते हुए चुनाव का बहिष्कार कर रही है कि विषम राजनीतिक माहौल निष्पक्ष भागीदारी को रोक रहा है. मुख्य चुनाव आयुक्त केएम नूरुल हुदा ने गुरुवार को मतदान से पहले चुनावी हिंसा के खिलाफ चेतावनी दी और कहा कि किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षा उपाय किए जा रहे हैं.
बांग्लादेश में चुनाव संबंधी हिंसक घटनाओं में इस महीने कम से कम नौ लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं. ढाका स्थित मानवाधिकार समूह आईन-ओ-सालिश केंद्र के अनुसार, जनवरी से अब तक चुनाव संबंधी हिंसा में 85 लोग मारे गए हैं और 6,000 से अधिक घायल हुए हैं. चुनाव में 1 करोड़ 5 लाख से अधिक मतदाता 835 परिषदों में प्रतिनिधियों का चयन करने के लिये पात्र हैं.
जून में पहले चरण में 204 परिषदों के लिए हुए थे चुनाव
कुल 4,571 परिषदें हैं, जिनके लिए चुनाव हो रहा है. इन्हें संघ परिषद के रूप में जाना जाता है. ये स्थानीय स्तर पर सामुदायिक विकास और लोक कल्याण सेवाओं के लिए जिम्मेदार हैं. इनके लिये विभिन्न चरणों में मतदान हो रहा है. जून में पहले चरण में, 204 परिषदों के लिए चुनाव हुए, जिसमें सत्ताधारी दल के 148 उम्मीदवार जीते और बाकी पर निर्दलीय उम्मीदवार विजय रहे.विश्लेषकों का कहना है कि बृहस्पतिवार का चुनाव प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के लिए 2023 के लिए अगले आम चुनावों से पहले अपनी स्थिति को मजबूत करने का एक अवसर है. उनकी पार्टी ने 2014 और 2018 में पिछले दो आम चुनावों में हेराफेरी के आरोपों के बावजूद भारी जीत हासिल की थी.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पश्चिम बंगाल इकाई ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में हाल में हिंदुओं पर हुए हमलों के लिए राज्य में हुई चुनाव-बाद हिंसा को जिम्मेदार ठहराया था, साथ ही इस मुद्दे पर राज्य के बुद्धिजीवियों की चुप्पी के लिए उनकी आलोचना भी की थी. आरएसएस के पश्चिम बंगाल प्रांत प्रचारक जिष्णु बसु ने कहा कि राज्य में इस साल हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की हार के बाद हिंदुओं पर हुए हमले के कारण बांग्लादेश में हिंसा को बढ़ावा मिला.बसु ने कहा था, अगर आप बांग्लादेश में हिंसा का तौर तरीका देखेंगे तो समझ में आएगा कि इस घटना के पीछे पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा प्रमुख कारण है.
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