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युद्धग्रस्त देश यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने एक बड़ा कदम उठाया, इस वजह से किया बर्खास्त

Neha Dani
18 July 2022 5:15 AM GMT
युद्धग्रस्त देश यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने एक बड़ा कदम उठाया, इस वजह से किया बर्खास्त
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ऐसे समय में नहीं किया जाना चाहिए जब स्थिति का प्रभाव खाद्य सुरक्षा की स्थिति को प्रभावित कर रहा हो।

युद्धग्रस्त देश यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने देश की घरेलू खुफिया और सुरक्षा एजेंसी के प्रमुख और अभियोजक जनरल को निकाल दिया है। एक वीडियो संदेश जारी कर जेलेंस्की ने कहा कि उन्होंने सुरक्षा प्रमुख इवान बाकानोव और अभियोजक जनरल इरीना वेनेडिक्टोवा को बर्खास्त कर दिया है। अपने इस फैसले को लेकर जेलेंस्की ने कहा कि दोनों अधिकारी अपने कामों को ठीक ढंग से कर पाने में असक्षम थे।


अधिकारियों में विश्वास खोने के बाद किया बर्खास्त
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक जेलेंस्की ने आरोप लगाए हैं कि दोनों ही अधिकारियों की एजेंसियों के कई सदस्यों द्वारा रूस का साथ देने के मामले सामने आए हैं। जेलेंस्की ने कहा कि अभियोजक कार्यालय, पूर्व-परीक्षण जांच निकायों और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के कर्मचारियों की देशद्रोह और सहयोग गतिविधियों के संबंध में आज तक 651 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि खासतौर से अभियोजक कार्यालय और यूक्रेन की सुरक्षा सेवा के 60 से अधिक कर्मचारियों के खिलाफ देशद्रोह के मामले सामने आए हैं।

भारत समेत कई देशों के राजदूतों को किया बर्खास्त
गौरतलब है कि, पिछले दिनों जेलेंस्की ने भारत में यूक्रेन के राजदूत समेत कई अन्य विदेशी दूतों को बर्खास्त कर दिया था। उन्होंने जर्मनी, चेक गणराज्य, नार्वे, भारत, बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका में यूक्रेन के राजदूतों को बर्खास्त करने की घोषणा की थी। बता दें, रूस ने इस साल फरवरी के अंतिम सप्ताह में यूक्रेन में अपना सैन्य अभियान शुरू किया था, जिसके चलते यूक्रेन समेत विश्व के कई देशों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा है।

आपरेशन गंगा के तहत भारतीय नागरिकों की निकासी
भारत ने आपरेशन गंगा के तहत अपने 22,500 नागरिकों की यूक्रेन से सुरक्षित निकासी की। इनमें अधिकांश छात्र थे, जो यूक्रेन के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे थे। भारत ने यूक्रेन संघर्ष के बीच कूटनीति के लिए अपना रुख दोहराया है। भारत ने कहा है कि मानवीय उपायों का राजनीतिकरण ऐसे समय में नहीं किया जाना चाहिए जब स्थिति का प्रभाव खाद्य सुरक्षा की स्थिति को प्रभावित कर रहा हो।

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