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अब तक हो चुकी है 72 की मौत
कैपटाउन (रायटर)। दक्षिण अफ्रीका में पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा की गिरफ्तारी के बाद शुरू हुई हिंसा में अब तक 72 लोगों की मौत हो चुकी है। इस हिंसा को देखते हुए देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी को फिलहाल एहतियात के तौर पर बंद कर दिया गया है। जुमा की गिरफ्तारी के बाद कई शहर इस वक्त हिंसा की चपेट में हैं। पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा की गिरफ्तारी उनके खिलाफ जारी भ्रष्टाचार के मामले में पेश न होने के बाद हुई है। जुमा की गिरफ्तारी की खबर सामने आते ही सैकड़ों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए और देखते ही देखते कई शहर हिंसा की चपेट में आए गए।
माना जा रहा है कि यहां पर दिखाई देने वाला विरोध प्रदर्शन और हिंसा केवल पूर्व राष्ट्रपति की गिरफ्तारी को लेकर ही सीमित नहीं है बल्कि इसके पीछे कहीं न कहीं रंगभेद की नीति जो कागजो में तो खत्म हो गई लेकिन जमीन पर जारी है, के खिलाफ भी हो रहा है। रायटर के मुताबिक असमानता के खिलाफ 27 वर्षों से जारी लोगों के दिलों में जो गुस्सा था वो अब सड़कों पर इस तरह से दिखाई दे रहा है।
आपको बता दें कि दक्षिण अफ्रीका इस महाद्वीप का सबसे समृद्ध देश है। इसके बाद भी यहां का एक तबका आज भी अपने आपको पिछड़ा हुआ मानता है और यहां पर काफी संख्या में गरीब लोग हैं। ये लोग समय के साथ-साथ और गरीब हो रहे हैं। महामारी के दौर में इन पर चौतरफा मार भी पड़ी है। इसकी वजह से लगाई गई पाबंदियों के चलते इन्हें आर्थिक और सामाजिक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
सरकार के मुताबिक हिंसा की शुरुआत सबसे पहले जैकब जुमा के गृह-राज्य क्वाजूलू-नेटल से शुरू हुई थी, जो अब जोहनिसबर्ग से डरबन तक जा पहुंची है। सरकार का कहना है कि वो इस हिंसा को रोकने की पूरी कोशिश कर रही है। इस हिंसा के दौरान बड़े पैमाने पर लूटपाट भी हुई हैं। हिंसा फैलाने के आरोप में अब तक 1,234 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। हिंसा को रोकने के लिए पुलिस लगातार गश्त कर रही है। पुलिस की निगाह में ऐसे शहर हैं जहां पर कुछ आपराधिक तत्व मौके का फायदा उठा रहे हैं और उसको हिंसा का रूप दे रहे हैं। यहां पर फैली हिंसा को रोकने के लिए सेना को भी सड़कों पर उतारा गया है।
गौरतलब है कि 79 वर्षीय जैकब जुमा को जून में संवैधानिक आदेश का पालन न करने के जुर्म में सजा सुनाई गई थी। उनके ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। इनकी जांच के लिए एक हाईलेवल कमेटी का गठन किया गया है। इसी कमेटी ने जुमा को अपने समक्ष पेश होने का आदेश जारी किया था, जिसका पालन उन्होंने नहीं किया और फिर उन्हें गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार करने के बाद उन्हें जेल में डाल दिया गया है।
हालांकि पूर्व राष्ट्रपति अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को गलत और राजनीति से प्रेरित बताते हैं। उनकी एक संस्था ने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के जेल में बने रहने तक देश में शांति होने की उम्मीद नहीं है। इस संबंध में उनकी संस्था ने ट्वीट भी किया है। इस संस्था के प्रवक्ता का कहना है कि इस तरह की हिंसा से बचा जा सकता था।
उन्होंने हिंसा की वजह कमेटी और सरकार के गलत फैसले को बताया है। हिंसा की वजह से कई कंपनियों के शेयर धड़ाम हो गए हैं। वहीं देश के कई भागों में पेट्रोल पंप बंद पड़े हैं। डरबन की कपड़ा फैक्टरी में इस दौरान जबरदस्त लूटपाट हुई है। इसकी वजह से फैक्टरी को बंद करना पड़ा है।
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