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पाक ने तालिबान के लिए ठुकराया US का बड़ा ऑफर
Pakistan Rejected Major US Offer: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने तालिबान की मदद करने के लिए अमेरिका का एक बड़ा ऑफर ठुकरा दिया है. अमेरिका ने इमरान खान से कहा था कि वह पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में उसे एक सीक्रेट सैन्य बेस उपलब्ध कराए. ताकि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए अफगानिस्तान में अपने सीक्रेट ड्रोन मिशन (Secret Drone Mission) पर काम कर सके. इसके बदले में अमेरिका ने पाकिस्तान को बाधित आर्थक मदद शुरू करने की बात कही लेकिन इमरान खान ने अपने तालिबान दोस्त को बचाने के लिए इससे भी इनकार कर दिया.
अमेरिकी न्यूज वेबसाइट Axios को दिए इंटरव्यू में इमरान खान ने कहा कि इस साल अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी के बाद सीआईए को पाकिस्तान की धरती से ऑपरेशन लॉन्च करने की इजाजत कतई नहीं दी जा सकती (US Operations in Afghanistan). इससे पहले कई रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया था कि पाकिस्तान ने अमेरिका को अपना एयरबेस इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है, ताकि वह अफगानिस्तान में मिशन को अंजाम दे सके. ऐसी रिपोर्ट्स के बाद ही पाकिस्तान में हंगामा होने लगा.
इस्लामाबाद आए थे सीआईए निदेशक
Will you allow the CIA to use bases in Pakistan for Afghanistan operations?
— Naila Inayat (@nailainayat) June 19, 2021
"Absolutely not"
"Seriously?" 🙃 pic.twitter.com/3u4M4OdCzh
इसी वजह से इमरान खान ने तुरंत अपना फैसला बदल लिया और अमेरिका को एयरबेस सौंपने से इनकार कर दिया. एयरबेस के लिए अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन (Lloyd Austin) ने भी जी तौड़ कोशिशें की थीं. ऐसा कहा गया कि सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्स ने तो गुपचुप तरीके से इस्लामाबाद का दौरा तक किया था. बावजूद इसके पाकिस्तान ने एयरबेस देने से इनकार कर दिया है. इससे साफ होता है कि पाकिस्तान का तालिबान के साथ कितना गहरा संबंध है.
बीते महीने NSA ने की थी मुलाकात
ऐसा माना जा रहा है कि इमरान खान के इस इनकार से पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते ज्यादा बिगड़ सकते हैं. पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोइद युसूफ (Moeed W. Yusuf) ने अमेरिका के एनएसए जेक सुलिवान से मई के आखिरी हफ्ते में जिनेवा में मुलाकात की थी. युसूफ ने सुलिवान (Jake Sullivan) से दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्ते को मजबूत करने पर बात की थी. उन्होंने कहा था कि ये रिश्ता सुरक्षा के आधार पर नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था और व्यापार के आधार पर मजबूत होना चाहिए. लेकिन तब ये साफ नहीं हुआ था कि इस बातचीत में एयरबेस का मुद्दा भी शामिल था या नहीं.
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