नई दिल्ली। कहते हैं फिल्मे समाज का आइना होती हैं। आयुष्मान खुराना की डेब्यू फिल्म विकी डोनर तो आपने देखी ही होगी। इस फिल्म की कहानी की तरह ऑस्ट्रेलिया के एक शख्स के जीवन की असली कहानी सामने आई है, जो फर्जी नामों से स्पर्म डोनेट कर 60 बच्चों का पिता बना।
इस बात का खुलासा तब हुआ जब नए अभिभावक गेट-टुगेदर इवेंट में एक दूसरे से मिले और उनके बच्चे दिखने में एक जैसे थे। खबर के मुताबिक, उस व्यक्ति के नाम का खुलासा नहीं किया गया है। उसने चार अलग-अलग नामों से एलजीबीटीक्यू प्लस समुदाय को स्पर्म डोनेट किया था। स्पर्म डोनर के ग्राहक नए अभिभावकों के लिए रखे गए गेट-टुगेदर में मिले। वहां सभी अपने बच्चों के बीच समानता देखकर हैरान रह गए। इसके बाद उन्होंने मामले की जांच करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों के आईवीएफ क्लिनिक्स से उस व्यक्ति के बारे में जानकारी निकलवाई।
सिडनी के फर्टिलिटी फस्ट्र की डॉ एनी क्लार्क ने बताया कि उस व्यक्ति ने हमारे क्लिनिक पर एक बार ही अपनी सेवाएं दी थीं। उसने दावा किया था कि वह फेसबुक ग्रुप्स के माध्यम से कई बार स्पर्म डोनेशन कर चुका है। हम जानते है कि उसे बदले में कई गिफ्ट मिले जो पूरी तरह से गैरकानूनी है। उसके पकड़े जाने का कारण यह रहा कि वह पूरी तरह से काकेशियन यानी की यूरोपीय मूल का निवासी नहीं था।
बहुत सारे अन्य देशों की तरह ऑस्ट्रेलिया में भी मानव स्पर्म के बदले गिफ्ट प्राप्त करना ह्यूमन टिशू एक्ट के तहत अपराध है, जिसके लिए 15 साल तक की जेल हो सकती है। लेकिन फेसबुक ग्रुप्स जैसे मंचों के कारण अभिभावकों और डोनर्स के मिलने से अनौपचारिक डोनेशन के मामले बढ़ रह हैं।
यूके में भी ह्यूमन फर्टिलाइजेशन एंड एब्रेयोलॉजी अथॉरिटी के अनुसार स्पर्म डोनर्स की तरफ से डोनेशन के लिए किसी भी तरह का भुगतान प्राप्त करना गैरकानूनी है। कोई डोनर अपनी प्रत्येक क्लिनिकल विजिट के लिए अधिकतम 35 पाउंड की राशि प्राप्त कर सकता है। प्राधिकरण द्वारा यह भी अनिवार्य किया गया है कि एक व्यक्ति का स्पर्म अधिकतम 10 परिवारों को दिया जा सकता है। हालांकि परिवारों को होने वाले बच्चों की सीमा का निर्धारण नहीं किया गया है।
