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बेहद चिंताजनक घटना: ग्रीनलैंड के सबसे ऊंचे शिखर पर हुई पहली बार बारिश

Rounak Dey
23 Aug 2021 9:18 AM GMT
बेहद चिंताजनक घटना: ग्रीनलैंड के सबसे ऊंचे शिखर पर हुई पहली बार बारिश
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वहीं इससे होने वाले नुकसान का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है.

प्रकृति के साथ छेड़छाड़ के बुरे नतीजे दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं. दुनिया में बेहद चिंताजनक घटनाएं हो रही हैं. ऐसा ही एक मामला ग्रीनलैंड (Greenland) का सामने आया है, जिसकी सबसे ऊंची चोटी पर अब तक के इतिहास में पहली बार बारिश (Rain) हुई है. यह बारिश भी हल्‍की-फुल्‍की नहीं बल्कि मूसलाधार थी. इस घटना ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है. यहां पर हुई 9 घंटों की ताबड़-तोड़ बारिश (Heavy Rainfall) में अंदाजन 7 करोड़ टन पानी गिरा है, जिससे बर्फ की चादरें टूट गई हैं.

10 हजार फीट से ज्‍यादा ऊंचा है यह शिखर
अमेरिका के नेशनल स्‍नो एंड आइस डेटा सेंटर (NSIDC) के मुताबिक ग्रीनलैंड का यह सबसे ऊंचा शिखर 10,551 फीट ऊंचा है और यहां पर इससे पहले कभी भी बारिश नहीं हुई थी. 14 अगस्‍त को हुई इस बारिश के कारण पिछले 10 सालों में तीसरी बार यहां का तापमान फ्रीजिंग प्‍वाइंट से ज्‍यादा हो गया था. इससे पहले आसपास के इलाकों में हुई बारिश के कारण यहां का तापमान शून्‍य से ऊपर चला गया था. शिखर पर हुई बारिश ने पौने नौ लाख वर्ग किलोमीटर की बर्फ पिघला (Snow Melting) दी. बर्फ पिघलने का यह सिलसिला करीब 4 दिन तक बड़े पैमाने पर जारी रहा. NSIDC के रिसर्चर टेड स्कैमबोस ने कहा है कि 10,551 फीट ऊंचे इस शिखर पर ऐसी बारिश इतिहास में पहले कभी नहीं हुई थी.
एक दिन में पिघली कई हफ्तों जितनी बर्फ
बारिश ने एक दिन में जितनी बर्फ पिघलाई है, उतनी तो यहां कई हफ्तों में पिघलती है. टेड स्कैमबोस ने यह भी कहा कि पिछले 15 से 20 सालों में यहां क्‍लाइमेट में इतने बदलाव हो रहे हैं कि यहां के तापमान या बारिश होने के बारे में सही अंदाजा लगा पाना मुश्किल हो गया है. मौजूदा हालात बर्फीले इलाकों के लिए बेहद खतरनाक हो चुके हैं. इससे पहले जुलाई में भी ग्रीनलैंड में बड़े पैमाने पर बर्फ पिघली थी.
सारे समुद्रों में बढ़ जाएगा 20 फीट पानी
ग्रीनलैंड बहुत बड़ा बर्फीला इलाका है. इसमें फैली बर्फ की मात्रा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यदि ग्रीनलैंड की सारी बर्फ पिघल जाए तो पूरी दुनिया के समुद्रों का जलस्‍तर 20 फीट तक बढ़ जाएगा. इससे कई द्वीप और देश डूब जाएंगे. वहीं इससे होने वाले नुकसान का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है.

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