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इससे बेरोजगार ड्राइवरों और कर्मचारियों को खाना मिलने में मदद हो रही है. वहीं अगर फसल अच्छी होती है, तो उसे स्थानीय बाजारों में बेचने की भी योजना है.
कोरोना वायरस संकट के कारण दुनियाभर में विभिन्न व्यवसाय प्रभावित हुए हैं. कुछ ऐसा ही थाईलैंड में भी देखने को मिला है. जिसके चलते लोग विरोध दर्ज कराने के लिए टैक्सी के ऊपर सब्जियां उगा रहे हैं. थाईलैंड में 'रूफटॉप गार्डन' का नजारा अब काफी बदल गया है और कोरोना वायरस संकट (Coronavirus Crisis) की वजह से बेकार खड़ीं टैक्सियों की छतों पर सब्जियों की खेती की जाने लगी है. इसके लिए इस हफ्ते दो टैक्सी संगठनों के कर्मचारी एकत्रित हुए थे.
उन्होंने अपनी टैक्सियों की छतों पर मिट्टी और पानी का इस्तेमाल कर टमाटर, खीरा और दूसरी सब्जियों की खेती की शुरुआत की. कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए लगाए गए प्रतिबंधों के चलते रात्चापुरक और बोवोर्न टैक्सी संगठनों की इस समय केवल 500 टैक्सियां सड़कों पर चल रही हैं और 2,500 टैक्सी बेकार खड़ी हैं (Taxi Drivers Protest in Thailand). टैक्सी संगठन से जुड़े थापाकोर्न अससावलेरत्कुल ने कहा कि महामारी के चलते बंद हुए कारोबार की वजह से पहली और दूसरी लहर के दौरान हजारों चालक अपनी टैक्सियां छोड़कर अपने गांवों को लौट गए हैं.
विरोध प्रकट करने के लिए उगा रहे सब्जियां
उन्होंने कहा कि स्थिति ऐसी है कि टैक्सी कंपनियां भरी संकट में हैं और अगर जल्द मदद नहीं मिली तो परेशानी और विकट हो जाएगी. थापाकोर्न ने कहा, 'टैक्सियों की छतों पर सब्जियों की खेती विरोध प्रकट करने और मेरे कर्मचारियों का पेट भरने-दोनों के लिए है. छतों के ऊपर सब्जियां उगाने से टैक्सियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा क्योंकि उनमें से ज्यादातर पहले ही क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं (Taxi Business in Pandemic). इंजन टूट गए हैं और टायर सपाट हो गए हैं. ऐसा कुछ नहीं है जो किया जा सकता है. यही एक आखिरी विकल्प है.'
पर्यटकों की कमी से टैक्सी बिजनेस ठप्प
थाईलैंड में कोरोना वायरस (Coronavirus in Thailand) का प्रसार रोकने के लिए बीते कुछ महीनों से सख्त कोविड प्रतिबंध लगाए गए हैं. जिसमें रात का कर्फ्यू भी शामिल है. बैंकॉक में टैक्सी एक मुख्य व्यवसाय है, जहां सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं. लेकिन अब कड़े प्रतिबंधों के कारण इनकी संख्या कम हो गई है. जिसके चलते टैक्सी बेकार (Farming on Unused Taxi) पड़ी हैं और उनपर बैंगन, मिर्च, खीरा और तोरी उगाए जा रहे हैं. इससे बेरोजगार ड्राइवरों और कर्मचारियों को खाना मिलने में मदद हो रही है. वहीं अगर फसल अच्छी होती है, तो उसे स्थानीय बाजारों में बेचने की भी योजना है.
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